देश के विभिन्न हिस्सों में संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में व्यापक प्रदर्शन हुए, जबकि इस दौरान उत्तर प्रदेश और बिहार में हिंसा तथा आगजनी देखने को मिली। राष्ट्रीय राजधानी में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन पर लगी रोक के बावजूद कल और आज सड़कों पर उतरने के चलते सैकड़ों छात्रों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और विपक्षी नेताओं को हिरासत में लिया गया, जबकि कई इलाकों में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं। बता दें कि दिल्ली एनसीआर सहित उत्तर प्रदेश के कई जिलों में धारा 144 भी लगाई गई थी।
नागरिकता बिल के खिलाफ लगातार प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे राजनीतिक सामाजिक एक्टिविस्ट पत्रकार अलीमुल्लाह खान को आज अदालत से जमानत पर रिहा कर दिया गया है। हालांकि उनका मोबाइल अभी तक उन्हें नहीं दिया गया है। जमानत पर रिहा होने के बाद अलीमुल्लाह ने कहा कि उनकी सीएए के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी। इस तरह की गीदड़ भभकियों से उनके हौसलो में कोई कमी नहीं आएगी।
गौरतलब है कि दो दिन पहले अलीमुल्ला खान को हिरासत में लिया गया था। लखनऊ में 17 दिसंबर को होने वाले सीएए के खिलाफ प्रदर्शन से एक दिन पहले उन्हें उत्तर प्रदेश पुलिस ने उनके घर से उठा लिया था। हालांकि पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेने के एक दिन बाद ही छोड़ने का वादा किया था लेकिन दो दिन बाद छोड़ा गया।
अलीमुल्लाह खान जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी से उर्दू में पीएचडी के छात्र रहे हैं और यूनिवर्सिटी में भी कई सामाजिक-राजनीतिक आंदोलनों का हिस्सा रहे हैं। इस वक्त पूरे देश में सीएए के खिलाफ देश व्यापी आंदोलन चल रहा है। हर मज़हब के लोग संविधान को बचाने के लिए सड़कों पर हैं। लखनऊ में अलीमुल्ला खान भी इस आंदोलन का हिस्सा थे और अपनी टीम के साथ कई तरह की रणनीति पर काम कर रहे थे। दो दिन तक उन्हें लखनऊ के अलीगंज थाने में रखा गया।