भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सहयोगी पार्टी लोकजनशक्ति पार्टी (एलजेपी) ने लोकसभा चुनाव की तारीखों का एलान एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस के ज़रिए कर दिया है। यह ऐलान चुनाव आयोग की घोषणा से पहले किया गया है, जिसको लेकर सवाल उठ रहे हैं।
अंग्रेज़ी अख़बार THE TELEGRAPH के मुताबिक़, लोजपा के बिहार अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस सत्तारूढ़ सहयोगियों के साथ एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने पीएम मोदी की होने जा रही एक रैली के बारे में बात करते हुए कहा कि, हम इस रैली को 3 मार्च को करने जा रहे हैं। क्योंकि चुनाव आयोग 6 से 10 मार्च के बीच चुनाव की घोषणा कर सकता है। सवाल ये है कि, चुनाव आयोग की गतिविधियों की जानकारी बीजेपी और उसके सहयोगियों को कैसे मिल जाती है?…

क्या आप जानते हैं कि चुनाव के लिए शेड्यूल की घोषणा के साथ ही आदर्श आचार सहिंता लागू हो जाती है। और इस हाल में कोई भी नई घोषणा, योजना की घोषणा सरकारें, या नेता नहीं कर सकते हैं। ये पहली बार नहीं है जब एनडीए को चुनाव आयोग की अंदरूनी ख़बर लगी हो। इससे कुछ महीनों पहले हुए कर्नाटक चुनाव की चुनाव तारीख़ की घोषणा बीजेपी आईटी सेल के मुखिया अमित मालवीय ने चुनाव आयोग से पहले कर दी थी।

काफ़ी फ़ज़ीहत के बाद मालवीय ने ये ट्वीट डिलीट किया था। लेकिन ये सारी बाते अपने आप में चिंता का विषय हैं क्योंकि संवैधानिक संस्थाओं और स्वतंत्र संस्थाओं की अंदरूनी बातें इस तरह सरकार या उससे जुड़े लोगों के पास पहुँचना वाकई ख़तरनाक है।
बता दें कि पिछले कुछ वक्त से चुनाव आयोग पर बीजेपी को फायदा पहुंचाने का आरोप लग रहा है। चाहे इवीएम का मामला हो या तारीखों की सिफ्टिंग का, चुनाव आयोग की गतिविधियां संदेह के घेरे में हैं।
सवाल उठता है कि क्या चुनाव आयोग चुनावों की तारीख सत्ताधारी दलों के राय से तय करता है? अगर नहीं तो फिर भाजपा और उसके सहयोगी दलों को चुनाव तारीखों की जानकारी पहले से कैसे होती है?