लाइब्रेरी वाया दिल्ली, दिल्ली वाया लाइब्रेरी
दस किताबें पढ़ने पर सदस्य के नाम के आगे एक स्टार लगाया जाता है। दस के आगे चालीस किताबें पढ़ने पर एक और स्टार मिलता है और इनाम दिया जाता है। आप तस्वीर में देखेंगे कि कुछ नाम के आगे कई चमकीले स्टार लगे हैं।
दस से अधिक किताबें पढ़ने वाले सदस्य से किसी किताब के बारे में लिखने या चित्र बनाने के लिए कहा जाता है। जब मुझे यह सब बताया जा रहा था उस वक्त प्रवेश द्वार से आस-पास के बच्चे अपनी जगह समझ कर लाइब्रेरी में प्रवेश कर रहे थे।
दक्षिण दिल्ली के साउथ एक्सेंटशन के पीछे कोटला-मुबारकपुर है। बंगाली स्वीट्स से आगे जाकर दायीं तरफ मुड़ने पर ओल्ड गुरुद्वारा रोड आता है जिस पर एक धर्म भवन है। इसका पता c-13 है। इसी के बेसमेंट में है द कम्युनिटी लाइब्रेरी प्रोजेक्ट। इसमें प्रवेश करते ही दिल्ली शहर में होने का जड़ हो चुका अहसास झटका खाता है।
भव्य लाइब्रेरी देखने की आदत जिन निगाहों को हो चुकी है, उन नज़रों के सामने यह लाइब्रेरी पुस्तक-भंडार की तरह हावी नहीं होती है। रैक पर रखी किताबों की श्रेणियों पर निगाह जाती है और फिर किताबों पर। जैसा कि इस प्रोजेक्ट का मकसद है कि हर तरह के लोग लाइब्रेरी से जुड़ें। किताबों के साथी बनें तो उसी हिसाब से किताबों को सजाया गया है। यहां आने वाले बच्चों में से ही नेतृत्व तैयार किया जाता है और उन्हीं में से किसी को लाइब्रेरियन बनने का मौका दिया जाता है।
लाइब्रेरी का स्पेस सीमित है लेकिन इस तरह से बनाया गया है कि आप अपने बच्चों को यहां ले जा सकते हैं। मोहल्ले के छोटे-छोटे बच्चों को कहानी सुनाई जा रही है और कुछ बच्चे अलग अपनी किताबों में डूबे हुए हैं। इस लाइब्रेरी के आस-पास कई सारे कोचिंग संस्थान हैं जो उनके बच्चे भी यहां अपनी किताबें लेकर आ जाते हैं। ऐसे दृश्यों से गुज़रे बग़ैर किसी शहर में बड़े होने का अनुभव बेकार होता है।
आप जड़हीन ही रहते हैं। यहां पार्किंग की समस्या है लेकिन इससे तो पूरी दिल्ली ही त्रस्त है।यहां कोई फीस नहीं है। सदस्यता के नाम पर बच्चे को एक नंबर दिया जाता है जिस पर वह किताबें घर लेकर जा सकता है। हिन्दी, उर्दू, और अंग्रेज़ी की किताबें हैं।
मुझे इस लाइब्रेरी के बारे में फरवरी 2021 में पता चला था, अशोका यूनिवर्सिटी में अध्यापन करने वालीं अपर्णा वैदिक ने बताया था। मैं जिस बच्चे के साथ गया था उसे यह जगह बहुत पसंद आई है तो आप भी निराश नहीं होंगे। जब कभी इस शहर से ऊबे हों इस लाइब्रेरी में आ सकते हैं और अपनी पसंद की किताबें पढ़ सकते हैं।
मुझे बताया गया कि इस तरह की दो और पुस्तकालय हैं। इरादा यही है कि लोग किताबों के करीब जाएं और किताबें लोगों के। आज का दिन अच्छा रहा। नया जाना। जिन लोगों ने लाइब्रेरी को वजूद में लाने का काम किया है, उन सभी का आभार।