नई दिल्ली : कृषि कानूनों को लेकर किसान नेताओं से बातचीत में अब सरकार सख्त होती दिख रही है, बातचीत में सरकार की तरफ से साफ संदेश दे दिया गया कि जब तक डेढ़ वाले वाले प्रपोजल पर किसान विचार नहीं करेंगे तब तक बातचीत संभव नहीं है.
बैठक के दौरान कृषि मंत्री ने कहा ‘सरकार आपके सहयोग के लिए आभारी है, कानून में कोई कमी नही है, हमने आपके सम्मान में प्रस्ताव दिया था.
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आप निर्णय नहीं कर सके, आप अगर किसी निर्णय पर पहुंचते हैं तो सूचित करें, इस पर फिर हम चर्चा करेंगे, आगे की कोई तारीख तय नही है.
सरकार की तरफ से किसान नेताओं को यह प्रपोजल दिया गया था कि हम डेढ़ साल तक नए कानून को निलंबित रखेंगे, इस पर किसान नेताओं से विचार करने के लिए कहा गया था.
लेकिन 11वें राउंड की बैठक से पहले ही किसान नेताओं की तरफ से स्पष्ट कर दिया गया कि इस प्रपोजल पर कोई विचार नहीं किया जाएगा और कानून वापसी ही एकमात्र आंदोलन रोकने का विकल्प है.
अब सरकार की तरफ से साफ कर दिया गया है कि डेढ़ साल तक कानून को रोकने का प्रपोजल उनकी ‘आखिरी सीमा’ थी, किसान नेताओं से इस प्रपोजल पर दोबार विचार करने को कहा गया है.
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सरकार की तरफ से यह भी साफ कर दिया गया कि कानून में कोई कमी नहीं है, इसका स्पष्ट संदेश है कि सरकार कानून पर बिंदुवार चर्चा ही कर सकती है लेकिन कानूनवापसी का कोई सवाल नहीं है.
किसान नेताओं और सरकार के बीच बैठक महज 18 मिनट तक चली, किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा है कि लंच ब्रेक के पहले किसान नेताओं ने दोहराया था कि कानून वापसी होनी चाहिए.
सरकार ने कहा कि वो सुधार के लिए तैयार है, मंत्री ने हमें अपनी मांगें मानने के लिए कहा और हम अपनी मांग पर अडिग रहे, इसके बाद मंत्री बैठक छोड़कर चले गए.