नई दिल्ली : कृषि बिलों के खिलाफ किसानों का आंदोलन आज लगातार 44वें दिन दिल्ली की सीमाओं पर जारी है, इस बीच आज सरकार और किसान संगठनों के बीच आठवें दौर की बैठक हुई, यह बैठक भी बेनतीजा रही, अब अगली बैठक 15 जनवरी को होगी.
सूत्रों के मुताबिक, बैठक में आज एक बार फिर सरकार ने किसान नेताओं के सामने कानून में संशोधन का प्रस्ताव रखा.
सरकार की ओर से कहा गया कि कानून वापस नहीं ले सकते क्योंकि काफी किसान इसके पक्ष में हैं, वहीं किसान नेता कानून रद्द करने की मांग दुहराते रहे.
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सरकार के रुख से नाराज किसानों ने बैठक के बीच में लंगर खाने से मना कर दिया, तल्खी बढ़ने पर सरकार ने लंच ब्रेक का आग्रह किया तो किसान नेताओं ने कहा कि ना रोटी खाएंगे ना चाय पिएंगे,
कृषि मंत्री, पीयूष गोयल और सोम प्रकाश करीब 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ विज्ञान भवन में वार्ता की.
चार जनवरी को हुई वार्ता बेनतीजा रही थी, क्योंकि किसान संगठन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े रहे.
वहीं सरकार ‘‘समस्या’’ वाले प्रावधानों या गतिरोध दूर करने के लिए अन्य विकल्पों पर ही बात करने पर जोर दिया.
किसान संगठनों और केंद्र के बीच 30 दिसंबर को छठे दौर की वार्ता में दो मांगों, पराली जलाने को अपराध की श्रेणी से बाहर करने और बिजली पर सब्सिडी जारी रखने को लेकर सहमति बनी थी.
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सरकार के साथ बातचीत से पहले गुरुवार को हजारों किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकाली, पिछले साल सितम्बर में अमल में आए तीनों कानूनों को केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश किया है.
सरकार का कहना है कि इन कानूनों के आने से बिचौलियों की भूमिका खत्म हो जाएगी और किसान अपनी उपज देश में कहीं भी बेच सकेंगे.
दूसरी तरफ, प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों का कहना है कि इन कानूनों से एमएसपी का सुरक्षा कवच खत्म हो जाएगा और मंडियां भी खत्म हो जाएंगी और खेती बड़े कारपोरेट समूहों के हाथ में चली जाएगी.