पिछले कई सालों में देश का माहौल कई मुद्दों की वजह से ख़राब होता रहा है लेकिन एक ऐसा मुद्दा है जिसकी वजह से देश के दो बड़े समुदाय आपस में लड़ जाते हैं वो है बाबरी मस्जिद- राम जन्म भूमि का मुद्दा. इस मुद्दे की वजह से देश में जाने कितने दंगे हुए हैं, ना जाने कितनी जानें गईं और गंगा जमुनी तहजीब धरी की धरी रह गई।
अयोध्या विवाद के समाधान के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता का रास्ता अपनाया है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय पैनल का गठन किया है। इस पैनल के अध्यक्ष जस्टिस इब्राहिम कलीफुल्लाह होंगे। पैनल में आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू का नाम शामिल है।
इस बीच केन्द्रीय मंत्री और भाजपा नेत्री उमा भारती का बयान आया है. उमा भारती ने इस बारे में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का सम्मान करती हूँ लेकिन जहाँ रामलाला विराजमान हैं, वहाँ भव्य मंदिर का निर्माण हो सकता है. वो कहती हैं कि ये देश धर्म-निरपेक्ष है लेकिन जिस तरह वैटिकन सिटी में मस्जिद और मक्का में चर्च नहीं बनाया जा सकता उसी तरह अयोध्या में मंदिर के अलावा कुछ और नहीं बन सकता.
वो आगे कहती हैं कि अयोध्या में सिर्फ़ राम और राम के परिजनों का ही स्थान हो सकता है. भारती ने कहा कि वो कोर्ट का सम्मान करती हैं और अदालत की ओर से ये पहल अच्छी है, जड़ता टूटी है. उन्होंने कहा कि 2010 के बाद जड़ता टूटी नहीं थी.. हिन्दुओं को ऐसा न माना जाए कि सारे प्रयोग उन्हीं पर होंगे. वो कहती हैं कि बाक़ी पूरे हिन्दुस्तान में मस्जिद है, फ़ैज़ाबाद में मस्जिद है..अयोध्या में तो मंदिर बने. उन्होंने आगे कहा कि वो अयोध्या में बाक़ी सभी मस्जिदों का सम्मान करती हैं..अगर वो बिगड़ीं तो उनके लिए पैसे वो भेज देंगे लेकिन विवादित जगह तो मंदिर ही बनना चाहिए.
उन्होंने आगे अदालत के फ़ैसले की तारीफ़ करते हुए कहा कि अकबर के ज़माने में भी इस तरह के प्रयास हुए हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट का प्रयास अभिनन्दन के लायक़ है.
बता दें कि कोर्ट द्वारा गठित पैनल को अयोध्या में एक सप्ताह के भीतर बातचीत शुरु करनी होगी। पैनल को शुरुआती रिपोर्ट 4 सप्ताह में देनी होगी और पूरी रिपोर्ट 8 सप्ताह के भीतर सौंपनी होगी। कोर्ट के आदेश के मुताबिक, इस मध्यस्थता को गोपनीय रखा जाएगा और इसकी मीडिया रिपोर्टिंग नहीं होगी।