कर्नाटक में सियासी नाटक तेज हो गया है। 13 महीने पुरानी गठबंधन सरकार से एक-एक कर विधायक इस्तीफा दे रहे हैं। कांग्रेस-जेडीएस के 13 विधायकों के इस्तीफे के बाद जारी राजनीतिक अस्थिरता रुकने का नाम नहीं ले रही है। सोमवार को एक निर्दलीय विधायक ने मंत्री पद से इस्तीफ दे दिया है।
निर्दलीय विधायक ने गवर्नर को सौंपे इस्तीफे में कहा है कि मैं एचडी कुमारस्वामी सरकार से समर्थन वापस ले रहा हूं और मेर समर्थन बीजेपी को है। आपको बता दें कि कर्नाटक विधानसभा में कुल 224 सीटें हैं और बहुमत के लिए 113 सीट की जरूरत है। कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों के इस्तीफे के बाद यहां विधायकों की स्पीकर को मिलाकर संख्या 210 रह गई है। वहीं एक निर्दलीय विधायक के इस्तीफे बाद कांग्रेस और जेडीएस के पास स्पीकर मिलाकर 103 विधायक रह गए हैं। जबकि सरकार बनाने के लिए 105 विधायकों के समर्थन की जरूरत है। कर्नाटक में बीजेपी के 105 विधायकों का समर्थन है।
नागेश ने यह फैसला ऐसे समय में लिया है जब कांग्रेस कोटे के सभी मंत्रियों ने अपने मंत्रीपद से इस्तीफा दे दिया है। माना जा रहा है कि ऐसा इसलिए किया गया है जिससे कि उन विधायकों के लिए मंत्रालय का रास्ता साफ किया जा सके जोकि सरकार से नाराज हैं। बता दें कि जेडीएस-कांग्रेस के 13 विधायकों के इस्तीफे के बाद से कर्नाटक सरकार संकट में है। अगर जिन विधायकों ने अपना इस्तीफा सौंपा है, उसे स्वीकार कर लिया गया तो मौजूदा गठबंधन सरकार पर इस बहुमत के आंकड़े से दूर हो जाएगी।
जेडीएस कांग्रेस के गठबंधन में कुल 117 विधायक हैं, जबकि भाजपा के पास कुल 105 विधायक हैं। कर्नाटक में पूर्ण बहुमत का आंकड़ा 113 का है। अगर जिन विधायको ने अपना इस्तीफा दिया है उसे स्वीकार कर लिया गया तो कांग्रेस-जेडीएस के विधायकों की संख्या 104 पहुंच जाएगी। बता दें कि स्पीकर का खुद का भी अपना वोट होता है। कांग्रेस के जिन विधायकों ने स्पीकर को अपना इस्तीफा सौंपा है, उनमें रामलिंगा रेड्डी, रमेश जर्किलोही, महेश कुमाथहल्ली, एसटी सोमशेखर, बीए बसावराज, बीसी पाटिल, प्रतापगौड़ा पाटिल और शिवराम हेबर हैं जबकि जेडीएस के एएच विश्वनाथ, के. गोपालियाह और नारायण गौड़ा का नाम शामिल हैं।