आईआईटी कानपुर में उर्दू के मशहूर शायर फैज अहमद फैज की कविता ‘हम देखेंगे लाजिम है कि हम भी देखेंगे’ पर बढ़ते विवाद को गीतकार-लेखक जावेद अख्तर ने बेतुका बताया है। जावेद अख्तर ने कहा कि फैज की किसी बात को या उनके शेर को हिंदू विरोधी कहा जाए, यह इतना फनी है कि इस पर सीरियस होकर बात करना मुश्किल है। फैज ने यह नज्म पाकिस्तान में जिया-उल-हक की सरकार के खिलाफ लिखी थी। जावेद अख्तर ने कहा कि उन्होंने ‘हम देंखेंगे’ नामक कविता पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जिया-उल-हक की सांप्रदायिक, प्रतिगामी और कट्टरपंथी सरकार के खिलाफ लिखी थी।
मीडिया से बातचीत के दौरान जावेद अख्तर ने फैज अहमद फैज के सिलसिले में बात करते हुए कहा कि इसके बारे में गंभीरता से बात करना बहुत मुश्किल है। जावेद अख्तर ने कहा, “फैज अहमद फैज को ‘हिंदू-विरोधी’ कहना इतना बेतुका और अजीब है कि इसके बारे में गंभीरता से बात करना भी मुश्किल है। उन्होंने अपना आधा जीवन पाकिस्तान के बाहर गुजारा, उन्हें वहां पाकिस्तान-विरोधी कहा गया।
इससे पहले जावेद अख्तर ने कहा था कि लोगों धर्म के आधार पर बांटा जा रहा है। गर्व से कहो हम हिंदू हैं का नारा लगवाया जा रहा है, लेकिन इससे समस्याओं का समाधान नहीं होता। शरणार्थी की कोई जात या धर्म नहीं होता। इसलिए देश में ऐसा कानून होना चाहिए जिसमें धार्मिक भेदभाव ना हो।
बता दें कि बुधवार को साहिबाबाद के झंडापुर में प्रसिद्ध रंगकर्मी सफदर हाशमी के 31वें शहादत दिवस पर हुए हल्ला बोल कार्यक्रम में केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। भीड़ को संबोधित करते हुए जावेद बोले कि कहा जा रहा है कि हिंदू मुसलमानों के बीच दरार डाली जा रही है, इसका मुसलिमों को नुकसान होगा। यह गलत है। केंद्र सरकार की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि इनके लिए अल्पसंख्यक सीढ़ी हैं। इन्हें देश की बहुसंख्यक 85 फीसदी आबादी पर नियंत्रण चाहिए। लेकिन इस प्रयास के परिणाम सुखद नहीं होंगे।