राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने दिल्ली और उत्तर प्रदेश के अमरोहा में आतंकी मॉडयूल बनाने के एक मामले में पटयाला हाउस कोर्ट दिल्ली की एक अदालत में शुक्रवार को दस संदिग्धों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया। यह आरोप पत्र अपर सत्र न्यायाधीश अजय कुमार की अदालत में पेश किया गया। इस मामले में अमरोहा के मुफ्ती मोहम्मद सुहैल सहित अन्य दस लोगों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (निरोधक) अधिनियम की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया है।अदालत इस मामले में आगामी चार जुलाई को सुनवाई करेगी।
ये बताते चलें कि ISIS मॉड्यूल कि शंका में दिसंबर 2018 के अंत में और इसके बाद अप्रैल 2019 में एनआईए ने छापा मारकर दिल्ली और अमरोहा से14 लोगों गिरफ्तार किया था बाक़ी इरशाद, जुबेर मलिक, रईस और आज़म सहित चार आरोपी के खिलाफ चार्ज शीट होना बाक़ी है सभी आरोपी दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं।
इस मौके पर अमरोहा से आरोपी परिवार के सदस्य आज बड़ी संख्या में कोर्ट आए थे, मुकदमे की पैरवी करने वाली संस्था जमीयत उलेमा-ए-हिन्द कि सेक्रेटरी मौलाना हकीमुद्दीन कासमी तथा मौलाना यासीन जहाजी क़ासमी भी अदालत में मौजूद थे।
स्पष्ट हो कि मौलाना महमूद मदनी के निर्देश पर जमीअत लीगल सेल इस मामले की पैरवी कर रही है। मौलाना महमूद मदनी ने दो टोक शब्दों में कहा है कि जमीयत उलेमा निर्दोष लोगों की रिहाई के लिए कोई कसार नहीं छोड़ेगी। जमीअत उलमा मुल्क भर में इस तरह के मुकदमात की पैरवी कर रही है, जमीयत का यह अनुभव है कि आतंकवाद की रोकथाम कि सिलसिले में एजेंसियों का व्यवहार संदेह पूर्वक है, ऐसी इस्तिथि में जमीयत उलेमा-ए-हिन्द अपन कर्तब्य समझती है कि वह बेक़सूरों को कानूनी माध्यम से न्याय दिलाए, इस वर्ष फरवरी में जमीअत उलमा ए हिन्द की कार्यकारणी के बैठक में इन पहलुओं की समीक्षा की गई थी जिसमें ये संकल्प ब्यक्त किया गया था के जमीअत कानूनी कार्यवाही जारी रखेगी।