भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत के तहत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने बुधवार को पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के प्रमुख मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया। लगभग ढाई महीने पहले मसूद अजहर के आतंकवादी संगठन ने ही कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर आत्मघाती हमला किया था, जिसमें 40 जवानों की जान चली गई थी।
संयुक्त राष्ट्र के इस फैसले की जानकारी यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने एक ट्वीट कर दी। उन्होंने कहा, “छोटे, बड़े सभी देश एक साथ आ गए और मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद ने वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया। सभी के समर्थन के लिए हम आभारी हैं।”
बता दें कि जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने की कोशिशें साल 2009 में डॉ मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने शुरू की थी। कांग्रेस ने मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किए जाने का स्वागत करते हुए ट्वीट किया, “साल 1999 में एनडीए सरकार के मसूद अजहर को छोड़ने के बाद भारत 2009 से उसे वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के लिए संघर्ष रहा है, जब यूपीए सरकार ने पहली बार इसके लिए कोशिशें शुरू की थीं। हम सुरक्षा परिषद के इस फैसले का स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि इससे उन परिवारों को न्याय मिलेगा जिन्होंने अपनी जान गंवाई।”
बुधवार को यूएनएससी की प्रतिबंध समिति 1267 ने चीन द्वारा ‘तकनीकी रोक’ हटाने के बाद अजहर पर कार्रवाई की घोषणा की। इसके लिए अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे सुरक्षा परिषद के अन्य स्थायी सदस्य देशों की तरफ से चीन पर जबरदस्त दबाव था। चीन ने इससे पहले चार बार ‘तकनीकी रोक’ लगाकर प्रस्ताव को रोक दिया था। चीन ने मंगलवार को संकेत दिए थे कि वह अब प्रस्ताव पर रोक नहीं लगाएगा। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस द्वारा अजहर को वैश्विक आंतकवादी घोषित करने के दबाव के बावजूद चीन इस पर अड़ंगा लगाता रहा था। भारत ने हाल ही में चीन के इस कदम को ‘निराशाजनक’ बताया था।
अब अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित होने के बाद मसूद अजहर संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों की यात्रा नहीं कर पाएगा। मसूद अजहर की चल-अचल संपत्तियों को सदस्य देशों द्वारा अपने-अपने यहां जब्त कर लिया जाएगा। कोई देश उसकी मदद नहीं कर पाएगा। फ्रांस सरकार ने अजहर पर 15 मार्च को ही प्रतिबंध लगा दिया था।