अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासनकाल में सरकार के आलोचक रहे मीडिया संस्थानों पर कथित तौर पर दबाव बनाया गया या उन्हें परेशान किया गया है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने साल 2017 के लिए अपनी सालाना मानवाधिकार रिपोर्ट में कहा, ‘भारत का संविधान अभिव्यक्ति की आजादी देता है लेकिन इसमें प्रेस की स्वतंत्रता का स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं है।
भारत की सरकार आमतौर पर इन अधिकारों का सम्मान करती है लेकिन कुछ ऐसे मामले भी हुए हैं जिनमें सरकार ने अपने आलोचक मीडिया संस्थानों को कथित रूप से परेशान किया और उन पर दबाव बनाया।’ रिपोर्ट में 54 पत्रकारों पर 54 कथित हमलों, जिनमें कम से कम तीन मामले समाचार चैनल को प्रतिबंधित करने के, 45 इंटरनेट बंद करने के और 45 राजद्रोह के व्यक्तियों और समूहों से संबंधित मामलों का जिक्र है।
रिपोर्ट में उदाहरण के तौर पर एनडीटीवी पर सीबीआई के छापे, अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स के संपादक पद से बॉबी घोष की विदाई, कार्टूनिस्ट जी. बाला की गिरफ्तारी का जिक्र किया गया है। रिपोर्ट में कर्नाटक की पत्रकार गौरी लंकेश और त्रिपुरा की शांतनु भौमिक की हत्या का भी उल्लेख किया गया है।
अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा है कि 2017 में कुछ पत्रकारों और मीडियाकर्मियों को न्यूज़ कवरेज के वक्त कथित रूप से हिंसा का सामना करना पड़ा या उन्हें परेशान किया गया। वहीं, साल 2016-2017 की मीडिया वॉचडॉग ‘द हूट्स इंडिया फ्रीडम’ की रिपोर्ट की मानें तो प्रेस की स्वतंत्रता को दबाने की ऐसी कोशिश हाल के वर्षों में पहले अनुभव नहीं की गई।