नई दिल्ली : पंचायत चुनाव की डुगडुगी काफी तेजी से बज रही है. ऐसे मे चंबल मे डाकू फरमानो की चर्चा किये बिना नही रहा जा सकता है । मुहर लगाओ,,,,,,,,,, वरना गोली खाओ छाती पर,,,,,,,,, कभी चंबल घाटी मे चुनाव के दौरान ऐसे नारो की गूंज हुआ करती थी । लेकिन आज इस तरह के नारे इतिहास के पन्नो मे दर्ज हो गए है । क्योकि खूखांर डाकुओ के खात्मो ने इन फरमानो पर विराम लगा दिया है ।
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चंबल का इतिहास इस बात की गवाही देता है कि कई चुनाव खूंखार डाकुओ के फरमानो के कारण असरदायक रहे है इसलिए पुलिस प्रशासन की पूरी निगाह हमेशा रहती आई है और चुनाव के दरम्यान खास करके रहती भी है।
बेशक आज की तारीख मे चंबल से डाकुओ का सफाया पूरी तरह से कर दिया गया है लेकिन पुराने डाकुओ के नाते रिश्तेदार और उनकी करीबियो की गतिविधियो पर निगरानी रखने के लिए संबधित थानो की पुलिस को सचेत किया गया है।
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भले ही फतबे ना हो लेकिन इन फरमानो की चर्चा किए बिना कोई भी घाटी वासी रह नही पा रहा है। आज भले ही डाकुओ के फरमान नही है। फिर भी फरमानो को याद करके घाटी वासियो की रूह आज भी कांप जाती है ।