मॉब लिंचिंग की घटनाएं देश में लगातार बढ़ती ही जा रही है। राजस्थान सरकार अब इस पर कानून बनाने की तैयारी में है। इसको लेकर राजस्थान विधानसभा में सरकार ने बिल भी पेश कर दिया है। इस बिल के मुताबिक मॉब लिंचिंग की घटनाओं को अंजाम देने के बाद 7 साल से लेकर आजीवान कारावास और 25 हजार रुपये से लेकर पांच लाख रुपये तक के जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है।
बिल के मुताबिक लिंचिंग रोकने के लिए प्रदेश में नोडल अधिकारी लाया जाएगा, जो कि पुलिस महानिरीक्षक के स्तर का होगा। इससे पहले राज्य के सीएम अशोक गहलोत ने बजट भाषण के दौरान घोषणा कर दी थी कि बलात्कार, मॉब लिंचिंग और ऑनर किलिंग जैसे मामलों पर कठोर कानून बनाया जाएगा। इस कानून की जानकारी स्कूली सिलेबस में भी दी जाएगी।
राजस्थान में मॉब लिंचिंग और ऑनर किलिंग की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने सदन में दो बिल पेश किए। बता दें कि राजस्थान अप्रैल 2017 में अलवर मॉब लिंचिंग केस में देशभर में बदनाम हो चुका है। इसमें भीड़ ने पेहलू खान को गोतस्करी के शक में पीट-पीटकर मार डाला था।
राजस्थान सरकार की ओर से पेश किए गए बिल में लिंचिंग को विस्तार से परिभाषित किया गया है। साथ ही यह भी प्रावधान रखा गया है कि मॉब लिंचिंग के मामलों की जांच इंस्पेक्टर से नीची रैंक का पुलिस अधिकारी नहीं करेगा। मॉब लिंचिंग बिल के प्रावधानों के तहत पुलिस महानिदेशक की ओर से राज्य समन्वयक नियुक्त किया जाएगा। इसके अलावा प्रत्येक एसपी जिला समन्वयक होंगे।
यह है सजा का प्रावधान
इस तरह के मामलों में चोट लगने पर आरोपी को सात साल की सजा और एक लाख तक के जुर्माने, गंभीर चोट लगने की स्थिति में 10 साल तक की सजा और 25 हजार से तीन लाख तक का जुर्माने तथा मौत हो जाने पर आजीवन कारावास और एक लाख से पांच लाख तक के जुर्माने का प्रावधान है।