बकरे की मां को 28 मार्च शाम तक खैर मनाने की इजाजत मिल गई। पाक संसद सत्र सोमवार के बाद हंगामाखेज रहेगा। प्रतिपक्ष के लोग अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग तक इमरान खान के हुजरे में आ जाएं, इसकी कोशिशें लगातार चल रही हैं। इमरान खान की कुर्सी सलामत रहे, इसे लेकर भारत में कौन-कौन से लोग संजीदा हैं? पहला नाम नवजोत सिंह सिद्धू का आता है। और भी कई हैं। आप समझ जाइए, जो जवानी में इमरान के साथ गजल-कव्वाली की महफिल रौशन करते थे। वो पीएम मोदी के प्रिय हैं और इमरान खान के भी।
पुलवामा के बाद से कूटनीति की कुट्टी चल रही थी, मगर दोनों देशों के कारोबारी, वीवीआईपी ने अपने संपर्कों को बनाए रखा है। मार्च 2021 में पाकिस्तान की ‘इकोनामिक कोऑर्डिनेशन कमेटी’ ने चीनी और कपास पर से प्रतिबंध हटा लिया था। कपास के करीब 48 प्रतिशत एक्सपोर्टर गुजरात से आते हैं। भारत के पांच राज्यों में चुनाव समाप्ति के बाद, मार्च-अप्रैल में दोनों देशों के बीच उभयपक्षीय व्यापार के बाकी दरवाजे बातचीत के बाद खुलने वाले थे, मगर लोचा हो गया। शुक्रवार की सुबह से पूरी दुनिया का ध्यान पाकिस्तान की संसद ‘नेशनल असेंबली’ पर केंद्रीत था। आठ मार्च 2022 को प्रतिपक्ष के 162 सदस्यों ने संसद सचिवालय को आने वाले सत्र में अविश्वास प्रस्ताव रखे जाने की सूचना दे दी थी। 25 मार्च 2022 को नेशनल असेंबली सत्र का पहला दिन एक सांसद की मौत पर शोक के साथ तीन दिनों के वास्ते स्थगित हो गया। संसद के स्पीकर असद कैसर अविश्वास प्रस्ताव पटल पर रखने में जितनी देर करेंगे, इमरान सरकार की मदद होगी। ये इस क़िस्से को चार अप्रैल तक खिंच ले जाना चाहते हैं.
342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के 156 मेंबरान हैं। इमरान खान की सत्ता को छह पार्टियों के 23 सांसदों का समर्थन हासिल है। यानी, टोटल 179 सदस्य सत्ता पक्ष के दिखते हैं। प्रतिपक्ष को अविश्वास प्रस्ताव पास कराने के वास्ते 172 वोट चाहिए। अर्थात इस खेल में छह पार्टियों के 23 सांसदों की भूमिका बड़ी होने जा रही है। सरकार गिरे तब भी और चुनाव के बगैर नई सरकार का गठन हो तब भी। संसद में सत्तारूढ़ पीटीआई मजबूती से खड़ी दिखे, इस वास्ते उसके एक-एक सांसद की उपस्थिति अनिवार्य है। दो-चार इधर-उधर हो गए, तो इमरान सरकार धड़ाम।
प्रश्न यह है कि इमरान खान के खिलाफ पाकिस्तान का प्रतिपक्ष इतनी मजबूती से खड़ा कैसे हो गया? वो कौन शख्स है, जिसने सबको एकजुट किया? जब सत्तापक्ष अपनी मशीनरी का दुरुपयोग प्रतिपक्ष को कुचलने में करता है, वह कैसे ‘काउंटर प्रोडक्टिव’ हो जाता है, उसका ताजा उदाहरण है पाकिस्तान। इस देश में जांच एजेंसियों के दुरुपयोग की कथा अधिक लंबी नहीं है। 23 साल पहले 1999 में पाकिस्तान में एक संस्था बनी थी, नेशनल अकांटबलिटी ब्यूरो (एनएबी)। इसका काम भ्रष्टाचार में शामिल नेताओं-नौकरशाहों, सेना के अधिकारियों को पकड़ना था। उस समय नवाज शरीफ सत्ता में थे और ‘एनएबी’ नामक भस्मासुर को खड़ा करने में उनकी बड़ी भूमिका थी। 1999 में नवाज के निपटने के बाद जनरल मुशर्रफ सत्ता में आए थे। उसके बाद से ‘एनएबी’ विरोधियों को नापने के काम आने लगा।
दस साल के अंदर, जो भी शासन प्रमुख पाकिस्तान की सत्ता में आया, नेशनल अकांटबलिटी ब्यूरो (एनएबी) का इस्तेमाल अपने हिसाब से करने लगा। नवाज शरीफ अपने तीन टर्म में नौ साल अधिक सत्ता में रहे। सबसे अधिक शासन करने वाली शख्सियत, और सबसे अधिक दुर्गति इन्हीं की हुई है। जुलाई 2017 में पनामा पेपर्स की वजह से नवाज शरीफ अयोग्य प्रधानमंत्री घोषित किए गए थे। उनके और परिवार के सदस्यों के विरुद्ध चार्जशीट दाखिल करने में उसी ‘एनएबी’ की बड़ी भूमिका रही थी, जिसका सृजन शरीफ शासन ने किया था।
पनामा पेपर्स में नवाज शरीफ, उनके भाई शहबाज शरीफ, बेटी मरियम नवाज ऑफ शोर कंपनियों के माध्यम से पैसे खपाने को लेकर पहले से जांच के दायरे में थे। पनामा पेपर्स का भंडाफोड़ हुआ, उसके प्रकारांतर एनबीए ने नवाज शरीफ और उनके परिवार पर भ्रष्टाचार का केस दायर किया। 6 जुलाई 2018 को संघीय अदालत ने अल अजीजिया स्टील मिल करप्शन केस में नवाज शरीफ को 10 साल की सजा सुनाई, सात साल की सजा मरियम नवाज को और दामाद कैप्टन मोहम्मद सफदर को एक साल की कैद सुनाई। उन्हें चुनाव लड़ने से भी अदालत ने प्रतिबंधित किया। पिता-पुत्री और दामाद, तीनों आदियाला जेल गए, जमानत पर भी रिहा हुए। नवाज शरीफ इलाज के वास्ते सशर्त लंदन गए, मगर, जमानत अवधि में जब वो लौटे नहीं। चुनांचे, कोर्ट ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया और उनकी संपत्ति कुर्क करने का आदेश हुआ। यह दिलचस्प है कि आने वाले 30 मार्च 2022 को नवाज शरीफ कुनबे की जमा-पूंजी कुर्क किए जाने पर सुनवाई होनी है। 28 को संसद के अगले सत्र आहूत होने के ठीक दो दिन बाद। सरकार गिरी तो शायद नवाज शरीफ की संपत्ति कुर्क होने से बच जाए। इमरान सरकार यदि बच गई तो मियां जी की संपत्ति पर कोर्ट का कहर बरपना सुनिश्चित मानिए।
अब प्रतिपक्ष के दूसरे पिलर की हालत को भी जान लें। जून 2019 में पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी साढ़े चार अरब रुपए के बैंक घोटाले मामले में गिरफ्तार किए गए थे। आरोप है कि फर्जी बैंक खातों के जरिए उन्होंने इतनी बड़ी रकम की निकासी की थी। अभी जरदारी जमानत पर हैं। एनबीए ने जब पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और उनके परिवार को नहीं बख्शा, तो जरदारी के प्रति दया किसलिए दिखाए? आप यह मान कर चलें कि पाक विपक्ष को एक करने में एनएबी की कार्रवाई ने क्विक फिक्स का काम किया है। सितंबर 2020 में संयुक्त विपक्ष का एक मोर्चा बना, जिसमें 11 पार्टियों के नेता इमरान खान के विरुद्ध मोर्चाबंद हुए। इसका नाम रखा गया पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम)। इसके चोबदार बने हैं, जमीयत उलेमा ए इस्लाम (जेयूआई) के नेता मौलाना फजलुर्रहमान। 342 सदस्यीय पाक संसद नेशनल असेंबली में ‘जेयूआई’ के 14 सभासद हैं। मौलाना फजलुर्रहमान वही हैं, जिन्होंने 27 अक्टूबर 2019 को सिंध और पंजाब में इमरान खान की सत्ता के विरुद्ध ‘आजादी मार्च’ निकाला था। उन दिनों मौलाना फजलुर्रहमान दो ध्रुवों पर बैठे नवाज शरीफ और भुट्टो परिवारों को एक करने के प्रयास लगातार करते रहे। देवबंदी स्कूल के मौलाना फजलुर्रहमान को तालिबान समर्थक भी माना जाता है। इसलिए शासन में बैठे लोगों को शक है कि इसके पीछे इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान का दिमाग तो काम नहीं कर रहा?
पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) में 11 दल शामिल हैं। उनमें जेयूआई, अवामी नेशनल पार्टी के दो गुट, बलुचिस्तान नेशनल पार्टी (मेंगल), जमीयत आहे हदीथ, नेशनल पार्टी बीजेंजो, पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज), पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी, पख्तुनख्वा मिल्ली अवामी पार्टी, पश्तुन तहाफूज मूवमेंट और कौमी वतन पार्टी के नेता लामबंद हुए हैं। 342 सदस्यीय निचले सदन में शक्ति परीक्षण से पहले सियासी जोड़-तोड़ कई हफ्तों से जारी थी। पाकिस्तान मुस्लिम लीग (कायदे आजम ग्रुप) के पांच सांसद सदन में हैं। वो सत्ता से नाखुश थे। ऐसी खबर है कि पीएमएल-क्यू के नेता चौधरी शुजात हुसैन को इमरान खान ने अपने आईने में उतारा है। मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट-पाकिस्तान (एमक्यूएम-पी) के सात सांसद हैं, उनके नेता खालिद मकबुल सिद्दिकी भी अचानक से इमरान खान के वास्ते महत्वपूर्ण हो गए। कम सभासदों वाले छोटे दल आज की तारीख में इमरान खान के लिए संकट मोचक हैं।
इमरान खान की ‘पीटीआई’ भयानक गुटबंदी की शिकार है। 156 सांसदों वाली पीटीआई में एक गुट के नेता जहांगीर तरीन का इमरान खान से छत्तीस का आंकड़ा रहा है। जहांगीर तरीन के सांसद यदि सदन से अनुपस्थित हो गए, तो सरकार का गिरना तय मानिए। 342 सदस्यीय निचले सदन में सत्ता पक्ष के 179 सांसद और प्रतिपक्ष के 162 सदस्य आमने-सामने हैं। इस संख्या बल को तोड़ने के वास्ते पीटीआई के जहाज में छेद करने के प्रयास जारी हैं। दो हफ्ते पहले इमरान सरकार ने पेट्रोल की कीमत 12 रुपए बढ़ाई थी, उसमें 10 रुपए की कमी कर दी। पाकिस्तान का पेट्रो पॉलिटिक्स और इमरान की दरियादिली को देखकर कहीं ऐसा न हो, विश्व बैंक व एशियन डेवलपमेंट बैंक पाकिस्तान को 2023 में नई सरकार बनने तक कोई कर्ज देने से मना कर दे। सेना इस पूरे मामले में मूक दर्शक है। जनरल बाजवा नवंबर में अवकाश ले रहे हैं। पाक सेना प्रमुख बनने के वास्ते गुटबाजी तेज हो रखी है। पाकिस्तान की सियासत में कभी अल्लाह, आर्मी और अमेरिका की भूमिका हुआ करती थी, अब वक्त बदल चुका।
इमरान खान इस समय दो रणनीतियों पर काम कर रहे हैं। पहला, पब्लिक में अपनी छवि को दुरुस्त करो, इस वास्ते उन्होंने कल्याणकारी कार्यक्रमों की झड़ी लगा दी है। ‘अहसास प्रोग्राम’ के तहत जिन आईटी ग्रेजुएट्स को 12 हजार रुपए का वजीफा दिया जाता था, उसे बढ़ाकर 14 हजार कर दिया। आईटी कंपनियों और स्टार्टअप को कैपिटल गेन टैक्स से मुक्त कर दिया। शुक्रवार को इमरान खान ने मनसेहरा में भीड़ को संबोधित करते हुए कहा, ‘मैंने हर परिवार को दस लाख का हेल्थ कार्ड दिया है। किसी भी अस्पताल में जाकर इलाज करवा सकते हैं। दो करोड़ गरीब खानदानों को हम चौदह हजार रुपए दे रहे हैं, ताकि वो अपना घर संभाल सकें। दो करोड़ परिवारों को घी, आटे और चीनी में हम 30 फीसद रियायतें दिलवा रहे हैं। गरीब-तरीन खानदानों को 20 लाख रुपए बिना सूद घर बनाने के लिए दे रहे हैं। सूद के बगैर पांच लाख का कर्जा दे रहे हैं कारोबारियों और किसानों को।’
मनसेहरा की सभा में इमरान खान बोले, ‘सांसदों के जमीर खरीदने के वास्ते 20 से 25 करोड़ रुपए की ऑफर दी जा रही है। ये जो तीन चूहे मिलके शिकार करने आ रहे हैं मेरा, इंशाअल्लाह इनको हम शिकस्त देंगे। ये चाहते हैं कि किसी तरह इमरान इनके ऊपर लगे करप्शन के केसेज खत्म कर दे। इन तीन चूहों में से एक शहबाज शरीफ अचकन सिलवाए बैठा है, पीएम पद की शपथ लेने के वास्ते । इस शरीफ खानदान ने अगर इंग्लैंड में सियासत की, मुझे यकीन है, थोड़े दिन बाद ये इंग्लैंड का दिवाला निकाल देंगे। ब्रिटेन पाकिस्तान से कर्जे मांगेगा, बोलेगा इन्होंने हमारा दिवाला निकाल दिया।’ किस तरह का ख्याली पुलाव है, ‘ब्रिटेन पाकिस्तान से कर्ज लेगा’, क्या इसे सीरियसली लें?