मोदी सरकार नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर अपने रुख पर कायम है। बीजेपी अध्यक्ष दावा कर रहे हैं कि उनकी पार्टी बिल को पारित कराने के लिए संकल्पबद्ध है। वहीं दूसरी तरफ बीजेपी में ही इसका विरोध शुरू हो गया है। शिलॉन्ग सीट से बीजेपी प्रत्याशी सनबोर शुल्लई ने इस पर पार्टी को खुली चुनौती दी है। उन्होंने कहा, “जब तक मैं जिंदा हूं तब तक नागरिकता संशोधन विधेयक लागू नहीं हो सकता है।” उन्होंने कहा, ‘मैं अपनी जान दे दूंगा। पीएम नरेंद्र मोदी के सामने आत्महत्या कर लूंगा, लेकिन मैं इस विधेयक को किसी भी हालता में लागू नहीं होने दूंगा।”
आपको बताते चलें कि ये वही सनबोर शुलई हैं जिन्होंने पीएम मोदी और केंद्रीय नेताओं और गैर सरकारी संगठनों को एक पत्र सौंपा था कि मेघालय और पूर्वोत्तर राज्यों को नागरिकता (संशोधन) विधेयक से छूट देने की बात कही गई थी और वो चाहते थे कि इस विधेयक में संशोधन हो।
क्या है नागरिकता (संशोधन) विधेयक
नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन करने के लिए लोकसभा में नागरिकता विधेयक लाया गया था। इस विधेयक के जरिये अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक समुदायों- हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैन, पारसियों और ईसाइयों को बिना समुचित दस्तावेज के भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव रखा है। इसमें भारत में उनके निवास के समय को 11 वर्ष के बजाय छह वर्ष करने का प्रावधान है। यानी अब ये शरणार्थी 6 साल बाद ही भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस बिल के तहत सरकार अवैध प्रवासियों की परिभाषा बदलने के प्रयास में है। भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनावों में इसका वायदा किया था। मोदी सरकार बनने के बाद यह विधेयक 2016 में सदन में पहली बार पेश किया गया था लेकिन सरकार का कहना है कि इसका मसौदा दोबारा से तैयार किया गया है।