नई दिल्ली : क्या एनआईए बीजेपी की मेंबरशिप दिलाने वाली एजेंट बन गई है, सीएए के खिलाफ़ असम में आंदोलन खड़ा करने के बाद से विगत एक साल से जेल में बंद सामाजिक कार्यकर्ता अखिल गोगोई के आरोप से तो यही साबित होता है.
अखिल गोगोई ने जेल के भीतर से एक चिट्ठी लिखकर एनआईए पर गंभीर आरोप लगाते हुए चिट्ठी में दावा किया गया है कि एनआईए के अधिकारियों ने उनके सामने आरएसएस या बीजेपी में शामिल होने पर तत्काल जमानत देने का प्रस्ताव दिया.
ये भी पढ़ें :यूपी पंचायत चुनाव : चार चरण में होंगे पंचायत चुनाव, 15 अप्रैल को होगा पहले दौर का मतदान
सिर्फ़ इतना ही नहीं गोगोई ने चिट्ठी में आगे कहा है कि एनआईए के अधिकारियों ने मुझे विधानसभा चुनाव लड़ने और मंत्री बनाने का भी लालच दिया था.
गोगोई ने कहा कि मैं जब इस अपमानजनक प्रस्ताव के खिलाफ़ दलील दे रहा था, तो उन्होंने बीजेपी में शामिल होने का एक और प्रस्ताव रखा, उन्होंने कहा कि मैं किसी रिक्त सीट से विधानसभा चुनाव लड़ सकता हूं और मंत्री बन सकता हूं.
अखिल गोगोई ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें केएमएसएस छोड़कर असम के लोगों का धर्मांतरण करके उन्हें ईसाई बनाए जाने के खिलाफ़ काम करने पर एक एनजीओ शुरू करने के लिए 20 करोड़ रुपये दिए जाने का प्रस्ताव दिया गया था.
गोगोई ने चिट्ठी में एनआईए द्वारा आरएसएस बीजेपी के एजेंट के तौर पर काम करने के अलावा एनआईए द्वारा जेल में उन पर किये गये क्रूरता का भी कच्चा चिट्ठा लिखा है, गोगोई ने चिट्ठी में आगे लिखा है.
ये भी पढ़ें : क्या पत्रकार ही पत्रकार के दुश्मन बन गए?
एनआईए मुख्यालय में मुझे लॉकअप नंबर-1 में रखा गया और केवल एक मैला कंबल दिया गया था और 3-4 डिग्री तापमान में ज़मीन पर सोने के लिए बाध्य किया गया, इसके अलावा उन्होंने एनआईए की हिरासत में रहने के दौरान शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया है.
गोगोई ने चिट्ठी में आगे लिखा है कि, “मुझे प्रस्ताव स्वीकार नहीं करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी गई, मुझे मौत की भी धमकी दी गई, मुझे 10 साल कारावास की सजा की धमकी दी गई, इतनी शारीरिक एवं मानसिक यातना झेलने के बाद 20 दिसंबर की रात मेरी तबियत खराब हो गई.