एक जहाँ जहां लोग आज कल ईश्वर की पूजा, नमाज़ अपने काम के लिए छोड़ देते है वही हाशिम अमला ने दुनिया को दिखाया है कि नमाज़ पहले है और मैन ऑफ द मैच बाद में, यानी हाशिम ने वही किया है जो इस्लाम मज़हब में कहा गया कि नमाज़ से मत कहो काम का वक़्त है, काम से कहो नमाज़ का वक़्त है।
नई दिल्ली – दक्षिण अफ्रीका के मशहूर क्रिकेटर अपने खेल के ससबब से दुनिया भर में मशहूर है लेकिन अमला अपने खेल के अलावा अपने धार्मिक होने के वज़ह से भी चर्चा में रहते है।हाशिम अमला की नबी की सुन्नत बढ़ी हुई दाढ़ी, कभी-कभी सिर में बाल साफ होने के कारण धार्मिक क्रिकेटर माना जाता है।उनके धार्मिक होने के पीछे उनके माता पिता और घर के माहौल को ज़िम्मेदार माना जाता है।

छोड़ते नही इबादत
यही नहीं एक बार इंदौर में आईपीएल के मैच के दौरान अमला ने शतक जड़ा और शतक जड़ने के बाद जब वह पवेलियन गए तो उस समय नमाज का वक्त आ गया तो टीम मैनेजर से कहा कि मुझे कहीं थोड़ी सी जगह एकांत वाली दिलादें ताकि नमाज पढ़ सके।इसके बाद उनके लिए जगह की व्यवस्था की गई।

इस बीच अवार्ड सेरेमनी में जब हाशिम अमला को बुलाया गया तो उनकी टीम के कप्तान ने उनकी ओर से यह अवार्ड लिया।जब कप्तान से पूछा गया कि अमला कहां है तो उन्होंने बताया कि प्रेयर का वक्त हो गया था और वह प्रेयर कर रहें हैं।हाशिम अमला की धार्मिक भावनाओ का अफ्रीकन टीम भी ख्याल रखती है।
लेकिन क्या आप जानते है हाशिम अमला भारत से सम्बन्ध रखते है।दरअसल हाशिम अमला के पुरखे गुजरात के थे और वह दक्षिण अफ्रीका में चले गये थे।दक्षिण अफ्रीका के डरबन में 1983 में हाशिम अमला का जन्म हुआ,हाशिम अमला दक्षिण अफ्रीका के पहले क्रिकेटर हैं जिन्होंने तिहरा शतक बनाया है।काफी तेजी से रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं।उनकी धाकड़ बल्लेबाज़ी से अफ्रीकन टीम कई बार जीत दर्ज कर चुकी है। के वज़ह से भी चर्चा में रहते है।हाशिम अमला की बढ़ी हुई दाढ़ी, कभी-कभी सिर में बाल साफ होने के कारण धार्मिक क्रिकेटर माना जाता है।उनके धार्मिक होने के पीछे उनके माता पिता और घर के माहौल को ज़िम्मेदार माना जाता है.