अयोध्या में राम मंदिर निर्माण भारतीय जनता पार्टी का सबसे पसंदीदा मुद्दा रहा है बीते तीन दशकों से भारतीय जनता पार्टी यही कह रही है कि मंदिर वहीं बनाएंगे लेकिन अब केंद्र में सत्तारूढ़ मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर यह कहा है कि अयोध्या में राम मंदिर वहीं नहीं बल्कि वह थोड़ा किनारे पर बनाएंगे। आपको बता दें कि मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर यह गुहार लगाई है कि मंदिर के विवादित किससे को छोड़कर बाकी का हिस्सा मंदिर ट्रस्ट को दे दिया जाए ताकि राम मंदिर का निर्माण जल्द से जल्द शुरू हो सके। गौरतलब है कि मंदिर के आसपास की 6 एकड़ जमीन सरकार की है मंदिर मस्जिद विवाद सिर्फ 0.313 एकड़ में है। साल 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2.7 एकड़ ज़मीन पर फ़ैसला सुनाया था।

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार द्वारा यह गुहार लगाई गई है कि वह विवादित जमीन को छोड़कर बाक़ी का हिस्सा मंदिर ट्रस्ट के सुपुर्द करदे। ताकी वहाँ मंदिर निर्माण शुरु हो। लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि भारतीय जनता पार्टी को अगर इसी तरह का फैसला लेना है तो उन्होंने बीते इतने सालों से यह रट क्यों लगाई हुई थी कि मंदिर वहीं बनाएंगे और इसके साथ हिंदूवादी संगठनों द्वारा देश का माहौल भी क्यों खराब किया गया।
इस मामले में गुजरात के पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने सोशल मीडिया साइट ट्विटर के जरिए मोदी सरकार को घेरा है हार्दिक पटेल ने लिखा है कि “लगभग तीन दशकों से BJP बोल रही थी राम लला हम आएंगे मंदिर वही बनाएंगे, लेकिन आज अचानक BJP और RSS कोर्ट चली गई और मंदिर इधर-उधर बनाने राजी हो गई। जब मंदिर साइड से ही बनाना था तो रथयात्रा क्यों ? मस्जिद क्यों तोड़ दी गई ? कार सेवकों की हत्या का ज़िम्मेदार कौन ? इसका जवाब जरूर दें।“ गौरतलब है कि सरकार ने केंद्र सरकार ने अपनी जो अर्जी दायर की है उसमें कहा गया है कि इसमें रामजन्म भूमि न्यास की 42 एकड़ गैर-विवादित भूमि है जो उसे लौटाई जा सकती है।