संगीत सम्राट तानसेन, बैजूबावरा,राजा मानसिंह तोमर और मृगनयनी के अमर प्रेम के साक्षी रहे ऐतिहासिक शहर ग्वालियर के उन्नत व उज्जवल भाल पर लगे कलंक के दो टीके उसे बहुत बेचैन करते रहे हैं. पहला, अंग्रेजों के मित्र सिंधिया शासक के विश्वासघात के कारण वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की शहादत और दूसरा महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को पिस्तौल उपलब्ध कराने का महापाप.
महल के दबदबे के कारण फूलबाग ग्वालियर स्थित महारानी लक्ष्मीबाई की पवित्र समाधि लंबे समय तक उपेक्षित बनी रही. भाजपा के तेजतर्रार नेता जयभान सिंह पवैया ने समाधि स्थल पर वार्षिक मेले के आयोजन की शुरुआत की,और अब हर साल सोत्साह मेला आयोजित हो रहा है.हाल ही में, सिंधिया खानदान के वारिस ज्योतिरादित्य सिंधिया ने समाधि स्थल पहुंच कर श्रद्धा पूर्वक नमन किया,और प्रकारांतर से अतीत की भूल का परिमार्जन किया , कदाचित वह ऐसा करने वाले सिंधिया परिवार के पहले सदस्य हैं, अब इस मामले को तूल नहीं दिया जाना चाहिए, आखिरकार अतीत की किसी भूल के लिए वर्तमान को कब तक लांक्षित किया जाएगा ?
लेकिन दूसरे कलंक से निजात पाना इतना आसान नहीं है, क्योंकि ग्वालियर शहर के बमुश्किल पचास लोग, गांधी जी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को अपना आराध्य जो मानते हैं.इन सबके नेता अखिल भारतीय हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डा.जयवीर भारद्वाज को ग्वालियर में जानने वाले ढूंढे न मिलेंगे, लेकिन उनके एकल प्रयास से भारतवर्ष में ग्वालियर की पहचान ‘गोड़से पूजक’ शहर की बन चुकी है. सुर्ख़ियों में बने रहने के शौकीन जयवीर भारद्वाज कभी गोड़से का मंदिर बनाने, मूर्ति स्थापना और कभी मेरठ में मूर्ति भेज कर सनसनी पैदा करते रहते हैं.सुना है वे नफरती भाषणों से रातों रात चर्चा में आए यति नरसिंहानंद और कालीचरण दास को सम्मानित और पुरस्कृत करने जा रहे हैं.चंद खुराफाती लोगों के कारण देश और दुनिया में यह धारणा बनती जा रही है कि, मानों ग्वालियर शहर की बहुसंख्यक आबादी गोड़से पूजक है, इस भ्रम को दूर करना आवश्यक है.
सच्चाई यह है कि, इसी ग्वालियर शहर में गांधी दर्शन के मर्मज्ञ डा. अरविंद दुबे, वरिष्ठ पत्रकार डा.राकेश पाठक और व्याख्याता डा.अवधेश पांडे जी सहित लाखों गांधी प्रेमी निवास करते हैं.गांधी जी के विचारों पर शोधकार्य व लेखन में संलग्न डा.अवधेश पांडे जी के पास कुछ समय पूर्व अहमदाबाद के साबरमती आश्रम, से फोन आया, फोनकर्ता ने गांधी जी पर लेखन की प्रशंसा करते हुए उनके निवास का पता पूंछा, ग्वालियर का नाम सुनते ही हतप्रभ होते हुए उन्होंने कहा, अरे वही ग्वालियर जहां गोड़से की पूजा होती है. एक मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है,यह मुहावरा यहां पूरी तरह चरितार्थ हो रहा है.
ग्वालियर चंबल अंचल के आमजन में गांधी जी के प्रति अपार श्रद्धा भाव होने का प्रमुख कारण अनेक दशकों तक इस क्षेत्र को अशांत बनाये रखने वाली “दस्यु समस्या” का समाधान गांधी जी के अहिंसा और करूणा के विचारों से होना रहा है. महात्मा गांधी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी संत विनोबा भावे, जय प्रकाश नारायण, डा. एस.एन.सुब्बाराव और सैंकड़ों सर्वोदय कार्यकर्ताओं के समवेत प्रयासों और गांधी जी के विचारों की अद्भुत शक्ति का परिणाम था कि, असंभव सी लगने वाली डाकू समस्या समाप्त हो गई. चंबल के गांधी के रूप में विख्यात प्रसिद्ध गांधीवादी विचारक डा. एस.एन.सुब्बाराव जी ने हाल ही में देहावसान हुआ है, जौरा जिला मुरैना स्थित गांधी आश्रम,को इस क्षेत्र में तीर्थ स्थल की तरह मान्यता प्राप्त है.
सच तो यह है कि, ग्वालियर चंबल अंचल की वास्तविक पहचान गांधी विचारों की अधुनातन प्रयोगशाला के रूप में होनी चाहिए थी, लेकिन मुट्ठी भर लोग इस पहचान को मिटाने पर उतारू हैं,वे इसे नफरत की प्रयोगशाला बनाना चाहते हैं, लेकिन अब ग्वालियर के शांतिप्रिय लोग ऐसे प्रयासों का अहिंसक तरीके से विरोध करने के लिए तैयार हैं.
आदरणीय जयवीर भारद्वाज जी, विभाजन की विभीषिका से आपके बुजुर्गों सहित लाखों परिवारों को हुई असहनीय पीड़ा से हम सब वाकिफ हैं, लेकिन अपने भीतर प्रतिहिंसा की आग कब तक जलाए रहेंगे ? गांधी जी के बारे में फैलाई गई भ्रांत धारणाओं को इतिहास की सत्यता जान कर ही मिटाया जा सकता है. इतिहास तो यही चीख चीख कर कहता है कि, जब अंग्रेजों को लगा कि, अब भारत को आजादी देने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है तब उन्होंने मुस्लिम लीग और हिंदू महासभा के जरिए धर्म के आधार पर देश के बंटवारे की साजिश रची, विभाजन के लिए मुख्यत: यह दो संगठन जिम्मेदार हैं, गांधी जी पर विभाजन की तोहमत लगाना,उस महामानव के प्रति घोर अन्याय होगा,जिसे उनके अपने देश के चंद लोगों द्वारा रोज अपमानित किया जाता है, लेकिन इसके उलट आज भी पूरा विश्व आदर देता है.
एक सामान्य नागरिक के रूप में आपसे करबद्ध प्रार्थना है कि,हम इस शहर से बहुत प्यार करते हैं, कृपया हमें अपना सर उठा कर चलने देने में मदद कीजिए, यदि आप हमारी प्रार्थना पर विचार करेंगे तो इस शहर और आने वाली पीढ़ियों पर आपका बहुत उपकार होगा.
( वीरेंद्र भदौरिया )