विधायक जिग्नेश मेवाणी और विपक्षी कांग्रेस के 14 विधायकों को गुजरात विधानसभा से एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया।
हंगामा दौरान मार्शलों ने सभी विधायकों को बाहर कर दिया। विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष सुखराम राठवा ने आंदोलनकारी सरकारी कर्मचारियों, किसानों, आंगनबाडी कार्यकर्ताओं और पूर्व सैनिकों से जुड़े मुद्दों पर आधे घंटे की विशेष चर्चा की मांग की।
जब विधानसभा अध्यक्ष नीमाबेन आचार्य ने राठवा की मांग को मानने से इनकार किया तो मेवाणी एवं कांग्रेस के अन्य विधायक आसन के समक्ष आ गए और नारे लगाने लगे। उन्होंने ‘‘कर्मचारियों को न्याय दो’’, ‘‘वन कर्मियों को न्याय दो’’ और ‘‘भूतपूर्व सैनिकों को न्याय दो’’ के नारे लिखी तख्तियां दिखाईं।
विधानसभा अध्यक्ष ने बार-बार विधायकों को अपनी सीट पर जाने को कहा। जब विधायकों ने उनकी बात नहीं मानी तो गुजरात के विधायी और संसदीय कार्य मंत्री राजेंद्र त्रिवेदी ने आसन के समक्ष बैठे विधायकों के निलंबन का प्रस्ताव पेश किया। प्रस्ताव को ध्वनि मत से मंजूरी दी गई।
अपनी पार्टी के सहयोगियों की लगातार नारेबाजी के बीच विपक्ष के उप नेता शैलेश परमार ने पूछा कि जब लगभग सभी विभाग के इतने सारे कर्मचारी अपने-अपने लंबित मामलों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं तो आखिर बीजेपी सदन में इन मुद्दों पर चर्चा के लिए क्यों तैयार नहीं है।