नई दिल्ली : कांग्रेस ने कहा है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए मिले चंदे की रकम में भारी घोटाला हुआ है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनता की आस्था के साथ हुए इस विश्वासघात की उच्चतम न्यायालय की देखरेख में जांच कराएं।
कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सोमवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इस मामले में जो तथ्य सामने आए हैं उनसे साफ है की चंदे की रकम में जबरदस्त घोटाला हुआ है और मंदिर निर्माण के लिए मिले चंदे से कम कीमत की जमीन को भारी दाम पर खरीदा गया है।
उनका आरोप है इस घोटाले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कई नेता शामिल हैं जो पार्टी के बड़े नेताओं के बहुत करीबी हैं।
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उन्होंने कहा कि राम मंदिर निर्माण के लिए एकत्रित धन में कितना जबरदस्त घोटाला हुआ है इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि मंदिर के लिए दो करोड़ रुपए की जमीन के लिए कुछ ही मिनट के भीतर 16.5 करोड़ रुपए अधिक देकर 18.5 करोड़ रुपए में खरीदा जाता है। उन्होंने इसे दुनिया में जमीन का एकमात्र सौदा बताया है जो 5.5 लाख रुपए प्रति सेकेंड की दर से बढ़ा है।
प्रवक्ता ने मोदी से इन घोटालों से जुड़े सवालों का जवाब मांगते हुए कहा कि मंदिर निर्माण के लिए चंदे में प्राप्त राशि और उसके खर्च का उच्चतम न्यायालय की देखरेख में ऑडिट कराने की मांग की है।
सुरजेवाला ने कहा कि श्री राम मंदिर निर्माण के लिए एकत्रित चंदे का घृणित दुरुपयोग हुआ है और मंदिर निर्माण के लिए जमीन खरीद मामले में करोड़ों रुपए का घोटाला हुआ यह गडबडी जगजाहिर है और किसी से छिपा नहीं है।
उन्होंने इस घोटाले के सम्बन्ध मे तीन कारण गिनाए “पहला- कुसुम पाठक एवं हरीश पाठक ने अयोध्या में 12080 वर्ग मीटर जमीन गत 18 मार्च को शाम सात बजकर 10 मिनट पर रजिस्टर्ड सेल डीड से दो करोड़ रुपए में रवि मोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी को दी और फिर उसी दिन पांच मिनट बाद यानी सात बजकर 15 मिनट पर यही 12080 वर्ग मीटर जमीन रवि मोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी द्वारा श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट को 18.5 करोड़ रुपए में बेचने का रजिस्टर्ड इकरारनामा कर पैसे का भुगतान कर दिया गया।”
सुरजेवाला ने कहा कि दोनों ही रजिस्टर्ड डॉक्यूमेंट पर डॉ. अनिल मिश्रा तथा ऋषिकेश उपाध्याय गवाह हैं। मिश्रा श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के ट्रस्टी और आरएसएस के पूर्व प्रान्त कार्यवहाक और संघ के आजीवन सदस्य हैं।
मिश्रा को श्री मोदी ने राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट का सदस्य बनाया था। उपाध्याय अयोध्या के मेयर और भाजपा के प्रमुख नेता है और वह मोदी तथा राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नजदीकी हैं।
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उन्होंने कहा कि दूसरी गड़बड़ी इससे साफ होती है कि 18 मार्च को पांच मिनट के अंतर में रजिस्टर्ड दोनों कागजात में राम मंदिर के लिए खरीदी जा रही जमीन की कीमत दो करोड़ से बढ़कर 18.5 करोड़ रुपए हो जाती है। इसी तरह से तीसरा गड़बड़झाला यह है कि दोनों रजिस्टर्ड कागजों पर श्री रामजन्मभूमि ट्रस्ट के ट्रस्टी अनिल मिश्रा गवाह हैं। दोनों रजिस्टर्ड कागजों पर दूसरे गवाह ऋषिकेश उपाध्याय है।
प्रवक्ता ने कहा कि चौंकाने वाली बात यह भी है कि रवि मोहन तिवारी तथा सुल्तान अंसारी द्वारा जमीन खरीदने के लिए स्टांप ड्यूटी जमा करवा ई-स्टांप सर्टिफिकेट 18 मार्च को शाम पांच बजकर 22 मिनट पर जारी हुआ।
परंतु, श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट द्वारा जो जमीन रवि मोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी से खरीदी गई, उसके लिए स्टांप ड्यूटी जमा कर ई-स्टांप सर्टिफिकेट 18 मार्च को शाम पांच बजकर 11 मिनट पर ही जारी हुए है। इसका मतलब यह है कि ट्रस्ट ने रवि मोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी से जमीन खरीदने के लिए स्टांप डयूटी पहले ही जमा करवा दी थी।