नई दिल्ली: साल 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस को लेकर तत्कालीन केंद्रीय गृह सचिव माधव गोडबोले ने बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने इस मामले में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और नरसिम्हा राव को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि केद्र सरकार केंद्रीय सुरक्षा बलों को अयोध्या भेजकर बाबरी मस्जिद को विध्वंस होने से बचा सकती थी। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता था। उन्होंने कहा कि इस बात को लेकर संदेह था कि राज्य सरकार केंद्र सरकार के साथ सहयोग करेगी। उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए ये दावा किया।
पूर्व केंद्रीय गृह सचिव माधव गोडबोले ने सोमवार को कहा कि हमने केंद्र सरकार के सामने अनुच्छेद 355 को लागू करने का प्रस्ताव रखा था, जिसके जरिए केंद्रीय बलों को मस्जिद की रक्षा के लिए उत्तर प्रदेश भेजा जा सकता था और फिर राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता था।
उन्होंने कहा कि इसके लिए हमने एक बड़ी व्यापक योजना बनाई थी, क्योंकि राज्य सरकार के केंद्र सरकार के साथ सहयोग करने की संभावना नहीं के बराबर थी। हालांकि तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को संदेह था कि ऐसी किसी स्थिति में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए संविधान के तहत उनके पास शक्तियां हैं।
गोडबोले ने कहा कि लेकिन ऐसा नहीं था कि सिर्फ केंद्र सरकार ही अपने दायित्वों का निवर्हन नहीं कर पायी, बल्कि संविधान के तहत अन्य संस्थाएं भी अपने दायित्वों का निर्वहन करने में विफल रहीं। उन्होंने कहा कि संविधान निर्माताओं ने शासन की ऐसी संपूर्ण विफलता और संवैधानिक नीतिवचनों एवं मूल्यों का अनुपालन नहीं किये जाने की ऐसी कल्पना नहीं की होगी। स्पष्टत: भारत ने अपने संविधान का उपहास किया। सबसे बड़ा दोषी राज्य सरकार थी, जो ढांचे की सुरक्षा के अपने वादों को पूरा करने में जान-बूझकर विफल रही। पूर्व गृहसचिव ने उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल बी सत्य नारायण रेड्डी को भी राज्य में स्थिति की गंभीरता का आकलन करने में नाकाम रहने और केंद्र को राष्ट्रपति शासन लगाने की सलाह देने में विफल रहने के लिए जिम्मेदार ठहराया।