मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ डिप्टी सीएम पद की शपथ लेने के तकरीबन 48 घंटे बाद ही भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो ने एनसीपी नेता अजित पवार को बड़ी राहत दी है। एसीबी ने 70,000 करोड़ रुपए के सिंचाई घोटाले में अजित पवार को क्लीनचिट दी है। राज्य सरकार के सूत्रों की मानें तो जिन मामलों में अजित पवार को क्लीन चिट दी गई हैं इन मामलों से उनका संबंध नहीं है। सूत्रों की मानें तो बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद उन्हें क्लीन चिट दी गई है।
तकनीकी तौर पर 3000 टेंडर जांच के घेरे में हैं और अजित पवार को क्लीन चीट नहीं मिली है. एसीबी के मुताबिक, सिर्फ 9 टेंडर्स (निविदाओं) के केस में अजित पवार को राहत मिली है और ये केस साक्ष्य के नहीं मिलने के कारण बंद कर दिए गए हैं।
सुप्रिया सुले का बढ़ सकता है कद
दरअसल अजित पवार के बगावती होने से पहले उन्हें पार्टी के भीतर शरद पवार के बाद नंबर दो का नेता माना जाता था, लेकिन जिस तरह से उन्होंने बगावत की है उसके बाद माना जा रहा है कि शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले का पार्टी में कद बढ़ सकता है। माना जा रहा है कि सुप्रिया सुले अब पार्टी के भीतर बड़ी भूमिका निभा सकती हैं।
सुप्रिया सुले राजनीतिक में तकरीबन एक दशक से ज्यादा से सक्रिय हैं। उन्हें 2006 में पहली बार राज्यसभा भेजा गया था। जिसके बाद 2009 में उन्होंने बारामती लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, जहां से खुद शरद पवार चुनाव लड़ते थे। उसके बाद से सुप्रिया सुले लगातार यहां से पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रही हैं, जबकि शरद पवार ने राज्यसभा का रुख अख्तियार किया। इस तरह के कयास लगाए जा रहे थे कि सुप्रिया सुले को शरद पवार का वारिस बनाया जा सकता है, लेकिन तमाम अहम मौकों पर अजित पवार पार्टी के भीतर नंबर दो की स्थिति पर बने रहे।