देश में बेरोज़गारी को लेकर एक और आंकड़ा सामने आया है। नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) के पेरिओडिट लेबर फोर्स सर्वे (पीएलएफएस) 2017-18 के डेटा के मुताबिक, देश में करीब 25 सालों में पहली बार पुरुष कार्यबल में गिरावट आई है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि 2017-18 के बीच भारत में कामगर पुरुषों की संख्या 28.6 करोड़ रही। एनएसएसओ ने पिछला सर्वे 2011-12 में किया था। उस समय भारत में कामगर पुरुषों की संख्या 30.4 करोड़ थी। इससे यह साफ होता है कि पिछले पांच साल में पुरुष कार्यबल में भारी गिरावट आई है।
1993-94 के बीच भारत में पुरुष कार्यबल की संख्या 21.9 करोड़ थी जो 2011-12 में 30.4 करोड़ हुई। 1993-94 के बाद और 2011-12 से पहले इसमें गिरावट नहीं आई थी। लेकिन मोदी सरकार के शासनकाल में यानी 2017-18 के बीच इसमें गिरावट आ गई। बता दें कि यह वही रिपोर्ट जिसे केंद्र की मोदी सरकार ने हाल में जारी होने से रोक दिया था।
सर्वे के मुताबिक, पुरुष कार्यबल में गिरावट ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में आई है। हालांकि ये गिरावट ग्रामीण इलाके में ज़्यादा है। जहां ग्रामीण क्षेत्र में पुरुष कार्यबल में 6.4 प्रतिशत की गिरावट आई है, वहीं शहरी क्षेत्र में ये आंकड़ा 4.7 प्रतिशत रहा।
ग़ौरतलब है कि केवल पुरुषों के ही नहीं बल्कि महिलाओं की नौकरियों में भी कमी आई है। ग्रामीण इलाकों में महिलाओं के लिए रोजगार 68% कम हुआ है। वहीं, शहरों में पुरुषों के रोजगार में 96% की गिरावट हुई है।
बता दें कि सरकार ने अभी तक पीएलएफएस के आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए हैं। कुछ लोगों का कहना है कि सरकार जानबूझकर ये रिपोर्ट बाहर नहीं आने दे रही है। इससे सरकार के रोजगार बढ़ने के दावे झूठे साबित हो सकते हैं।
इससे पहले मोदी सरकार ने एनएसएसओ की उस रिपोर्ट को भी जारी नहीं किया था जिसमें बताया गया था देश में बेरोजगारी दर पिछले 45 सालों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है।