अमेरिकी कंपनी वालमार्ट ने फ्लिपकार्ट की 77 प्रतिशत हिस्सेदारी करीब 16 अरब डॉलर ( एक लाख पांच हजार 360 करोड़ रुपये) में खरीदने की घोषणा कर दी है। वालमार्ट का यह अब तक का सबसे बड़ा अधिग्रहण है। इस सौदे में 11 साल पुरानी फ्लिपकार्ट का कुल मूल्य 20.8 अरब डॉलर आंका गया है।
वहीँ इस डील पर भारतीय हिंदूवादी संगठन आरएसएस के यूनिट स्वदेशी जागरण मंच ने आपत्ति जताई है। उन्होंने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इसे ‘अनैतिक’ और ‘राष्ट्रहित के खिलाफ’ बताया है।
मंच का दावा है कि अमेरिकी रिटेल कंपनी मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी मेक इन इंडिया अभियान खतरनाक साबित होगी।
स्वदेशी जागरण मंच ने ये पत्र पीएमओ को भेजा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि संघ और मोदी की बीजेपी के साथ सर्वसम्मति थी कि मल्टी ब्रांड रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश उद्यमशीलता और रोजगार पैदा करने के अवसरों को ‘मार डालेगा’, जोकि ‘किसान विरोधी’ है और इसलिए इसे अनुमति नहीं दी जा सकती। उन्होंने वालमार्ट और फ्लिपकार्ट के बीच हुई इस डील में पीएम मोदी हस्तक्षेप करने के लिए कहा है।
पत्र में चेताया गया है कि खतरा अब दरवाजे पर खड़ा है और बाजार में भारी उथल पुथल मच सकती है. इसके साथ ही पत्र में लघु और मध्यम व्यापार, छोटी दुकानें और ज्यादा से ज्यादा रोजगार पैदा करने के मौके के खत्म होने की भविष्यवाणी भी की गई है।
मंच ने कहा है, “हमें विश्वास है कि आप हस्तक्षेप करेंगे और ये सुनिश्चित करेंगे कि आखिरी पंक्ति में खड़े व्यक्ति का हित सुरक्षित रहे।