आज न जरीना वहाब का जन्मदिन है। बल्कि उस अभिनेत्री को याद करने का बहाना ढूंढ रहा था। मेरे एक मित्र आजम अनवर जी और दूसरे खास मित्र विवेक शुक्ला जी का निवेदन था कि जरीना वहाब पर कुछ लिखा जाए। आपके अनुरोध पर मैं टाइप करने बैठा और सोचा कि जरीना जी के बारे में क्या क्या लिख सकता हूँ। आज के परिवेश में जबकि चारों ओर बहुत ही विकट स्थ्ति है तो आइए उम्मीदों को जिंदा रखते हुए जरीना जी के बारे में जानते हैं।
बात 1976 से पहले की है जबकि चितचोर 1976 में रिलीज हो गई थी। बाकी अभिनेत्रियों और जरीना जी में यह अंतर है कि जरीना जी का जो पहला लुक है उसमें एक उस भारतीय महिला के दर्शन होते हैं सीधी है लद्धड़ है और उनकी यह लुक आपको अपने बहनों में जरूर दिखेगी। ये किसी भी फ़िल्म के लिए सबसे जरूरी भाग होता है कि फर्स्ट लुक जो दिखे वो हमारे समाज में ढल जाने वाला हो। उस समय की लड़कियां अपने को जरीना जी से रिलेट कर सकें। और वो फिल्म सफल भी रही थी। मुझे स्वयं जरीना जी का लुक बहुत पसंद था।
उस समय तो मनोरंजन के नाम पर एक बड़ा रेडियो हुआ करता था जिसका कि हर महीने टैक्स जमा करते थे। बीबीसी के अलावा बिनाका गीत माला जो कि अमीन सयानी प्रस्तुत करते थे। उस समय गाने के टॉप लिस्ट में चितचोर के गाने भी हुआ करते थे। आइये संक्षेप में उस हस्ती के बारे में जानते हैं।
ज़रीना वहाब एक भारतीय अभिनेत्री और टीवी कलाकार हैं। जरीना हिंदी फिल्मों के अलावा तमिल, तेलुगु फिल्मों में भी सक्रीय है। जरीना वहाब हिंदी सिनेमा में फिल्म चितचोर और गोपाल कृष्णा जैसी फिल्मों में अपने दमदार अभिनय के लिए जानी जाती हैं।
- पृष्ठभूमि
जरीना का जन्म 1959 में विशाखपटम्न में हुआ था। जरीना हिंदी के अलावा, तेलुगु, उर्दू और अंग्रेजीं भाषा का पूरा ज्ञान रखतीं हैं। उनकी दो बहनें और एक भाई है। जरीना ने एफटीआईआई पुणे से अभिनय का प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
- शादी
ज़रीना वहाब की शादी अभिनेता आदित्य पंचोली से हुई है। जो कि उनसे पांच साल छोटे हैं। इनके बेटा और एक बेटी है। बेटी का नाम सना पंचोली है। बेटे का नाम सूरज पंचोली है, जोकि एक अभिनेता है।
- करियर
जरीना ने अपने करियर की शुरुआत फिल्म इश्क इश्क इश्क से की थी जो कुछ खास नहीं रही। हिंदी सिनेमा में ज़रीना को पहचान फिल्म चितचोर से मिली। चितचोर में ज़रीना के अभिनय की लोगों ने बेहद तारीफ़ की। इसके बाद वह फिल्म जज्बात में राज बब्बर के संग दिखाई दी , ज़रीना को फिल्म घरौंदा के लिए फिल्म फेयर के बेस्ट एक्ट्रेस का नॉमिनेशन भी मिल चुका है।
हालंकि उसके बाद वाहब ने फ़िल्मी दुनिया से ब्रेक लेकर अपने परिवार को सँभालने लगी। उसके बाद साल 2009 में वहाब ने मलयालम मूवी कैलेंडर से धमाकेदार कमबैक किया। इसके अलावा वह हिंदी फिल्म माय नेम इस खान में भी दिखाई दी थीं। इस फिल्म में उन्होंने शाहरुख़ खान की माँ का किरदार निभाया था।
- प्रसिद्ध फ़िल्में
चितचोर,घरौंदा, अगर, सावन को आने दो, सितारा, माय नेम इस खान, जज्बात, एक और एक ग्यारह, दहलीज,माशूका, रक्तचरित्र, विषवरूपम्, हिम्मतवाला,दिल धड़कने दो।
- चितचोर की कहानी संक्षेप में।
पीतांबर चौधरी (ए के हंगल) मधुपुर गाँव के विद्यालय में प्राध्यापक जो अपनी पत्नी (दीना पाठक) व कन्या गीता (ज़रीना वहाब) के साथ रहता है| गीता एक सरल व नटखट लड़की जिसके साथ हमेशा पड़ोस का नन्हा बालक दीपू (मास्टर राजू) रहता है| एक दिन पीतांबर को अपनी बड़ी बेटी मीरा (ऋतू कमल) की चिट्ठी मिलती है जिसमें वह इंजिनियर, जो गीता के योग्य वर है, के आने की सूचना देती है और उसकी अच्छे से देखभाल करने को कहती है|
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पीतांबर का परिवार उसके स्वागत को तैयार होता है| विनोद (अमोल पालेकर) उस मिलनसार परिवार में घुल मिल, गीता से प्रेम करने लगता है| सारा परिवार गीता व विनोद के मंगनी का निश्चय करता है| इतने में मीरा की दूसरी चिट्ठी आती है जिसमे वह इंजिनियर सुनील (विजयेन्द्र घटगे), जिस बारे पिछली चिट्ठी में लिखा था, कुछ दिन बाद आनेकी बताती है| विनोद वहां उसके काम के संचालन के लिए आया है| पीतांबर का परिवार यह सुन हैरान है और विनोद की जगह सुनील की गीता से मंगनी की बात कर सारा व्यवस्था करता है| यह सुन विनोद गाँव से निकल जाता है, जिसे सुन गीता विनोद से विवाह करने की बात बताकर उसे ढूँढने जाती है| उसके स्टेशन पहुँचने तक गाडी निकल जाती है| निराश हुए वह सुनील के साथ घर वापस आकर विनोद को घर में पाती है| सभी उलझन सुलझनेपर गीता व विनोद का विवाह निश्चय होता है|
प्रबोध सिन्हा