नई दिल्ली : मोदी सरकार और किसान संगठनों के बीच सोमवार को आठवें दौर की बैठक में दो मुद्दों पर बात होनी थी, लेकिन बात कृषि बिलों के मुद्दे पर ही सिमटकर रह गई.
लंच के पहले और बाद में कृषि बिलों की वापसी की मांग पर ही किसान नेता अड़े रहे, नतीजन, बैठक बेनतीजा रही, दोनों पक्ष के बीच तीनों कृषि बिलों के मुद्दे पर इस कदर चर्चा चली कि एमएसपी को कानूनी जामा देने की मांग पर बहस ही नहीं हो पाई.
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बैठक के बाद किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के नेता सुखविंदर सिंह सभरा ने कहा, ‘सरकार की नीयत में खोट है, 8 जनवरी को 8वें दौर की बात होगी.
बातचीत में कुछ निकलता दिखाई नहीं दे रहा, सरकार एक कदम भी पीछे हटने को तैयार नहीं है, उनका कहना है कि कानून फायदेमंद हैं, पीएम खुद बैठक कर बिलों को निरस्त करने की बात करें.’
मुलाकात के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, ‘आठ जनवरी को सरकार के साथ फिर से मुलाकात होगी.
तीनों कृषि बिलों को वापिस लेने पर और एमएसपी दोनों मुद्दों पर 8 तारीख को फिर से बात होगी, हमने बता दिया है कानून वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं.’
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दर्शन पाल ने कहा, ‘सरकार को यह बात समझ आ गई है कि किसान संगठन कृषि कानूनों को रद्द किए बिना कोई बात नहीं करना चाहते हैं, हमसे पूछा गया कि क्या आप कानून को रद्द किए बिना नहीं मानेंगे, हमने कहा हम नहीं मानेंगे.
एक अन्य किसान नेता ने कहा, ‘हमने बताया कि पहले कृषि कानूनों को वापिस किया जाए, MSP पर बात बाद में करेंगे.
8 तारीख तक का समय सरकार ने मांगा है, उन्होंने कहा कि 8 तारीख को हम सोचकर आएंगे कि ये कानून वापिस हम कैसे कर सकते हैं, इसकी प्रक्रिया क्या हो.