जम्मू-कश्मीर के पू्र्व सीएम फारूक अब्दुल्ला को लेकर पैदा हुआ सस्पेंस आज खत्म हो गया है। संसद में उठे सवालों के बीच वह श्रीनगर में संवाददाताओं से बातचीत करते नजर आए। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि उन्हें भी नजरबंद किया गया था।
फारूक ने कहा कि मुझे घर से बाहर नहीं जाने दिया गया, अस्पताल भी नहीं जाने दिया गया था। लेकिन जब मैंने गृह मंत्री का बयान सुना कि मैं हिरासत में नहीं हूं, तो मैं बाहर आया। मैं देश से कहना चाहता हूं कि मुझे बंद किया गया था। मैं घर से निकल नहीं सकता था, कहीं जा नहीं सकता था। ये लोग हमारी हत्या करना चाहते हैं, हम कोई पत्थरबाज नहीं हैं। जब मेरा राज्य ही जला दिया जा रहा हो, मेरे लोगों को जेल में डाला जा रहा हो तो मैं घर में क्यों रहूंगा। ये वो भारत नहीं है जिसपर मुझे भरोसा है।
फारूक अब्दुल्ला ने कहा, मुझे दुख है कि गृहमंत्री अमित शाह इस तरह से झूठ बोल रहे हैं। मुझे कैद रखा गया और मंत्री ने झूठ बोल दिया। फारूक अब्दुल्ला ने सवाल किया कि क्या ये हिन्दू को एक तरफ मुस्लिमों को एक तरफ कर देंगे। क्या यही हिन्दुस्तान है. उन्होंने कहा कि मेरा भारत वो था जो सबका था। अब्दुल्ला ने कहा, हमारी राजनीति की लड़ाई जारी रहेगी। हम लोकतंत्र के लिए, एकता के लिए लड़ेंगे। उम्मीद है कि हम फिर एक साथ बैठेंगे और इस मुद्दे को एक हल पर लेकर जाएंगे। दरवाजे खुलेंगे तो लोग बाहर आएंगे, हम कोर्ट जाएंगे अपनी लड़ाई लड़ेंगे।
जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक सोमवार को राज्यसभा से पास हो चुका है। मंगलवार को इसे लोकसभा में पेश किया गया है। बिल में जम्मू कश्मीर से लद्दाख को अलग करने और दो अलग केंद्र शासित राज्य बनाने का प्रावधान है। इस बिल को लेकर भारत में भी दो तरह की राय है। एक बड़ा तबका इसे बेहतर कदम बता रहा है तो जम्मू कश्मीर (खासतौर से घाटी में प्रभाव रखने वाले) के नेता और देश की कई राजनीतिक पार्टियां भारी विरोध कर रहे हैं। जम्मू कश्मीर के चार पूर्व सीएम, कई मौजूदा सांसद और ज्यादातर मेनस्ट्रीम पार्टियां इस बिल को विनाशकारी कह रही हैं। बीते दो दिन से राज्य के ज्यादातर बड़े नेता या तो पुलिस हिरासत में हैं या फिर उनको नजरबंद किया गया है।