लखनऊ (यूपी) : उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि केवल खाद्यान्न उत्पादन से किसानों की आय नहीं बढ़ सकती, इसके लिए शाक-सब्जी, विविध फसलों के साथ गंगा के किनारे ऊंचे क्षेत्रों में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाये।
शाही ने आज कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में आयोजित वर्चुअल राज्य स्तरीय खरीफ उत्पादकता गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि अधिकारियों को सम्बोधित कर रहे थे। सभी अधिकारियों एवं किसानों का कोरोना काल में किये गये उत्कृश्ट कार्यों के लिए बधाई एवं आभार व्यक्त किया।
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उन्होंने निर्देश दिए कि कृषि यंत्रों के अनुदान भुगतान के लिए सत्यापन में विलम्ब न किया जाए। उन्होंने सावां, कोदो, काकुन जैसे मोटे अनाजों के बीजों की व्यवस्था तथा रेज्ड बेड तकनीकी से उर्द, मूॅंग, अरहर की खेती की सलाह दी गई। उन्होंने कहा कि केवल खाद्यान्न उत्पादन से किसानों की आय नहीं बढ़ सकती, इसके लिए शाक-सब्जी, विविध फसलों के साथ गंगा के किनारे ऊंचे क्षेत्रों में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाये। अपने उद्बोधन में उन्होंने गोष्ठी में उठाये गये समस्त समस्याओं को समेकित कर उनका त्वरित समाधान करने के निर्देश दिये गये।
कृषि मंत्री ने बताया कि प्रदेश में इस बार रिकाॅर्ड 37.51 लाख मीट्रिक टन गेहूॅ की खरीदी की गई जिसके लिए 7.68 लाख से अधिक किसानों को 7400 करोड़ से अधिक की धनराशि का भुगतान किया गया। किसान सम्मान निधि योजना के क्रियान्वयन में उत्तर प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है। वर्ष 2020-21 के प्रथम चौमास के लिए कुल 261.50 लाख किसानों को मई माह में कुल 5230 करोड़ की धनराशि उनके खाते में हस्तान्तरित की गई।
उन्होंने डीएपी खाद का मूल्य बढ़ने के भ्रामक प्रचार पर स्थिति स्पष्ट करते हुये अवगत कराया कि अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में डीएपी के कच्चे माल की कीमतें बढ़ने के कारण प्रति बैग 2400 रुपये हो गयी है। उन्होंने बताया कि किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए प्रति बोरी अनुदान 500 से बढ़ाकर 1200 रूपये कर दिया है। यह अनुदान में 140 प्रतिशत की वृद्धि है, जिसके फलस्वरूप किसानों को 1200 प्रति बोरी की कीमत पर ही डीएपी उपलब्ध की जा रही है।
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कृषि मंत्री ने बुन्देलखण्ड में आच्छादन वृद्धि के उद्देश्य से खरीफ बीजों का वितरण 80 प्रतिषत अनुदान पर किये जाने की जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि अनुदान पर बीज वितरण और खेत तालाब योजना का परिणाम यह रहा कि बुन्देलखण्ड में पांच लाख हेक्टेयर क्षेत्र आच्छादन विषेश रूप से दलहन एवं तिलहन सहित बढ़ा है।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि बुन्देलखण्ड के साथ ही आगरा एवं अलीगढ़ मण्डलों में भी दलहन, तिलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिए बीज व्यवस्था करायें। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि क्षेत्रीय परिस्थितियों और अनुकूलता के अनुसार ही विभिन्न फसलों के बीजों की आपूर्ति एग्रोक्लाईमेटिक जोनवार जिलों को दी जाये।