नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय के दिल्ली स्कूल ऑफ जर्नलिज्म में फीस को लेकर छात्र लगातार परेशानियों का सामना कर रहे है, कोविड-19 महामारी को लेकर छात्रों के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नही है इस कारण छात्र लगातार फीस कम करने की मांग कर रहें है.
डीएसजे की ओएसडी मनस्विनी एम योगी का कहना है कि आपको पहले फीस देखकर दाखिला लेना चाहिए था, जितनी चादर हो उतने पैर फैलाने चाहिए थे, जब 5 स्टार होटल में खाने की हिम्मत न हो तो होटल के अंदर नही जाना चाहिए.
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ओएसडी का कहना है कि जो करना है करों हाईकोर्ट जाओ सुप्रीम कोर्ट जाओ लेकिन मेरा दिमांग मत खराब करों.
छात्रों का कहना है कि ओएसडी छात्रों से ठीक से बात तक नही करती है हम गरीब परिवार से संबंध रखते है, लेकिन अब यह लोग हम पर जबरन फीस वसूली कर रहे है, घर पर खाने का साधन नही है हम लोग कैसे 39500 रू देंगे.
डीएसजे के छात्र एवं एनएसयूआई नेशनल मीडिया को-इंचार्ज मौहम्मद अली का कहना है कि महामारी कभी भी समय देख कर नही, आज पूरे भारत में महामारी के कारण बेरोज़गारी एवं भूखमरी बढ़ रही है लेकिन डीएसजे प्रशासन सभी समस्याओं को नजरअंदाज करते हुए छात्रों से जबरन भारी भरकम फीस वसूल रहे है.
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कोरोना महामारी के कारण डीएसजे की सभी कक्षाएं ऑनलाइन चल रही है तो ऐसे में छात्रों से लाइब्रेरी शुल्क, स्टूडियो फीस, फील्ड विसिट चार्ज जैसे तमाम चार्ज क्यो वसूले जा रहे है.
क्या विश्वविधालय का कानून कहता है कि कॉलेज बंद होने पर भी हमें लाइब्रेरी, मीडिया, विसिट जैसे शुल्क देने होंगे.
डीएसजे की ओएसडी मनस्विनी योगी जी द्वारा खुलेआम छात्रों की गरीबी का मजाक उड़ाना निंदनीय है उनके अनुसार अब डीएसजे में सिर्फ अंबानी-अडानी का बच्चा ही पढेगा, क्या गरीब का बच्चा पत्रकार नही बन सकता.
मेरा डीयू प्रशासन से अनुरोध है कि ओएसडी के इस बयान के लिए उनको तत्काल निलंबित किया जाना चाहिए क्योकि शिक्षा के मंदिर में गरीबों का मजाक उड़ाने वाले लोगों के लिए कोई जगह नही है.