नागरिकता कानून और एनआरसी पर जारी बहस के बीच अब राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) पर भी वि’वाद खड़ा हो गया है। सरकार की तरफ से कहा जा रहा है कि एनपीआर और एनआरसी में कोई संबंध नहीं है, जबकि विपक्षी दल इस पर सवाल उठा रहे हैं। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने तो इस मसले पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को गृह मंत्रालय की रिपोर्ट पढ़ने तक की सलाह दे दी है।
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) का विरोध करते हुए न्यूज एजेंसी एएनआई से ओवैसी ने कहा, ”गृहमंत्री देश को गुमराह क्यों कर रहे हैं? संसद में उन्होंने कहा था कि ओवैसी जी एनआरसी पूरे देश में लागू होगा। अमित शाह साहब, जब तक सूरज पूरब से उगता रहेगा हम सच कहते रहेंगे। एनपीआर एनआरसी की ओर पहला कदम है।”
असद ओवैसी ने तंज कसते हुए कहा कि अमित शाह साहब, जब तक सूरज पूरब से उगता रहेगा, हम सच कहते रहेंगे। एनपीआर, एनआरसी की ओर पहला कदम है। जब अप्रैल 2020 में एनपीआर किया जाएगा, तो अधिकारी दस्तावेजों के लिए कहेंगे… अंतिम सूची एनआरसी होगी। बता दें कि इससे पहले मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक विशेष साक्षात्कार में कहा था कि एनपीआर का एनआरसी से कोई लेना-देना नहीं है।
बता दें कि कल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने न्यूज एजेंसी ANI से कहा कि मैं आज स्पष्ट रूप से बता रहा हूं कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के बीच कोई संबंध नहीं है। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि पूरे देश में NRC को लेकर अभी चर्चा करने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि इस पर अभी तक कोई विचार-विमर्श नहीं हुआ है। पीएम मोदी सही थे, इसे लेकर अब तक न तो मंत्रिमंडल में कोई चर्चा हुई है और न हीं संसद में।
मालूम हो कि मोदी सरकार की कैबिनेट बैठक में भारत की जनगणना 2021 के लिए 8,754.23 करोड़ रुपये और एनपीआर के लिए 3,941.35 करोड़ रुपये के खर्च को मंजूरी दी गई है।