पीएम मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में 2021 की जनगणना की प्रक्रिया शुरू करने और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) की मंजूरी दी गई। पहले से देश में नागरिकता संशोधन कानून और संभावित एनआरसी को लेकर जारी हंगामे के बीच एनपीआर लाने पर उठ रहे सवालों को लेकर शाम में गृहमंत्री अमित शाह ने एक न्यूज एजेंसी से बातचीत कर भरपूर सफाई देने की कोशिश की। लेकिन इस दौरान उन्होंने भी हाल में रामलीला मैदान की रैली में पीएम मोदी द्वारा देश से बोले गए झूठ को ही जोरदार तरीके से दोहराया।
वहीं देश में डिटेंशन सेंटर बनने की बात पर अमित शाह ने कहा कि देश में असम के सिवाय कहीं भी डिटेंशन सेंटर नहीं है। उन्होंने बताया कि सिर्फ असम में एक डिटेंशन सेंटर है और कई सालों से है। शाह ने यह भी कहा कि लोगों को NRC लागू होने पर डिटेंशन सेंटर में डाले जाने की बात पर झूठ फैलाया जा रहा है। गृह मंत्री ने बताया कि डिटेंशन सेंटर हर देश में होता है। ये उन विदेशियों के लिए होते हैं जिनके पास पासपोर्ट वीजा कुछ नहीं होता। यहां उन्हें रखा जाता है और इसके बाद उन्हें उनके देश में डिपोर्ट करने की प्रक्रिया की जाती है।
NRC से अलग है NPR
शाह ने कहा कि कांग्रेस ने साल 2010 में NPR की प्रक्रिया शुरू की थी। NPR हमारे घोषणापत्र में शामिल नहीं है। जब उनसे पूछा गया कि अगर एनपीआर में किसी का नाम शामिल होने से रह जाता है, तो क्या उसकी नागरिकता चली जाएगी? इस पर अमित शाह ने कहा कि मैं यह बात बिल्कुल साफ कर देना चाहता हूं कि एनपीआर में किसी का नाम शामिल नहीं होने से किसी की नागरिकता नहीं जाएगी। यह NRC से अलग है।
हालांकि गृहमंत्री अमित शाह कई मौकों पर NRC को लेकर चर्चा करते दिखे हैं, कुछ दिन पहले उन्होंने बयान दिया था कि सीएए के बाद पूरे देश में एनआरसी लागू होगा।