दिल्ली के कंझावला में कार से घसीटे जाने की वजह से एक युवती की मौत के मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से दिखाई गई सख्ती के संदेश व्यापक हैं।
दरअसल, राष्ट्रीय राजधानी होने के नाते दिल्ली में सुरक्षा व्यवस्था के स्तर को बाकी जगहों से ज्यादा चौकस माना जाता है। लेकिन अगर इस धारणा के बरक्स हकीकत यह सामने आए कि एक कार में फंसी युवती को बारह किलोमीटर के दायरे में घसीटा जाता रहा और अलग-अलग हिस्सों में ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों को इसकी खबर तक नहीं हुई तो निश्चित रूप से यह हैरानी की बात है।
इसे खुद को बेहद सक्षम और संवेदनशील महकमे के तौर पर पेश करने वाली दिल्ली पुलिस के लिए शर्मिंदगी का कारण माना जाना चाहिए। लेकिन इस साल की शुरुआत के साथ ही दिल्ली के कंझावला इलाके में हुई हृदय विदारक घटना का एक पहलू यह भी है कि इतनी लंबी दूरी तक कार में फंसी युवती घिसटती रही और उस वाहन को रोकने-टोकने वाला सड़क पर कोई नहीं था।
जबकि जिन इलाकों से वह कार गुजरी, उस रास्ते में पुलिस के गश्ती वाहन समेत कई जगहों पर विभिन्न चौकियों पर पुलिसकर्मी ड्यूटी पर तैनात थे। इसके अलावा, निगरानी के लिए कई जगहों पर सीसीटीवी कैमरे भी लगे थे।
सवाल है कि इतनी दूरी के बीच ड्यूटी पर तैनात किसी भी व्यक्ति की नजर इस घटना पर क्यों नहीं गई, जबकि नए साल के जश्न के मद्देनजर बाकी दिनों के मुकाबले कानून व्यवस्था को लेकर शायद ज्यादा चौकसी बरती गई होगी।
जाहिर है, अगर ड्यूटी पर मौजूद पुलिसकर्मी या गश्ती वाहन चौकस रहते तो शायद समय रहते उस बेलगाम कार को रोका जा सकता था और संभव है कि युवती की जान बचाई जा पाती। लेकिन घटना की प्रकृति से संबंधित जगहों पर मौजूद पुलिसकर्मियों की लापरवाही का अंदाजा लगाया जा सकता है।
दरअसल, किसी भी गैरकानूनी घटना की आशंका के मद्देनजर ही जगह-जगह चौकियों पर और फिर गश्ती वाहनों में पुलिसकर्मियों को ड्यूटी पर तैनात किया जाता है, ताकि समय रहते आपराधिक वारदात को रोका जा सके। अगर कोई घटना हुई है। तो सूचना मिलने पर जल्दी से जल्दी संबंधित जगह पर पुलिस पहुंचे। लेकिन इससे बड़ी विडंबना क्या होगी कि करीब बारह किलोमीटर के लंबे रास्ते में कई जगह पुलिस चौकी थे, गश्ती वाहन थे, लेकिन इस सबके बावजूद आरोपी कार में फंसी युवती को घसीटते आगे बढ़ते रहे।
यही नहीं, जांच के दौरान यह तथ्य भी सामने आया कि कई बार फोन करने पर भी गश्ती या पीसीआर वाहन से कोई जवाब नहीं आया। सीसीटीवी के फुटेज खंगालने पर भी यह पता चला कि जब यह हादसा हो रहा था, तब सुल्तानपुरी इलाके में गश्ती वाहन दिखे।
सवाल है कि दिल्ली पुलिस के पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था के दावों के इस तरह घटना कैसे संभव हो सकी ! राहत की बात बस है कि इसका संज्ञान खुद केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से लिया गया और इसके बाद घटना के लिए व्यापक लापरवाही का जिम्मेदार मानते हुए ग्यारह पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया। इससे पहले गृह मंत्रालय ने इस मामले में आरोपियों के खिलाफ हत्या की धारा लगाने को कहा था।
इस सख्ती और कार्रवाई की अहमियत इसलिए महत्वपूर्ण है कि आमतौर पर हादसों की घटनाओं को परिस्थितिजन्य मान कर उसमें किसी की जिम्मेदारी नहीं तय हो पाती और शायद ही किसी पुलिसकर्मी के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। नतीजा यह होता है कि कई बार ड्यूटी पर मौजूद कुछ पुलिसकर्मी खुद को सजग रखने के प्रति लापरवाह होते हैं और कंझावला जैसी बड़ी घटनाएं भी सरेआम सड़क पर होती रहती हैं।