छात्रों से अपील है कि शांति बनाए रखें। वो एक ऐसे दौर में है जब पुलिस से भी बर्बर मीडिया हो गया है। लेकिन पूरी कोशिश कीजिए कि कोई भी तत्व हिंसा न करे। कौन बाहरी है उस पर खुद नज़र रखें। हो सके तो शाम के वक्त आंदोलन न करें। अंधेरे का फ़ायदा हमेशा ताकतवर को मिलता है।
सभी पक्षों अपील है कि हिंसा का लाभ इस वक्त किसे होगा आप समझते हैं। इसलिए खुद नज़र रखें। हिंसा न होने दें। कोई भी फ़ार्मेशन ऐसा बनाएं जिसमें कोई अनजान पास भी न आ सके।
अगर ऐसा नहीं कर सकते हैं तो प्रदर्शन न करें। छात्रों से अपील है कि शांति और अहिंसा का इम्तहान उन्हें देना है। पुलिस और मीडिया को नहीं। यह कैसे करना है उन्हें सोचना होगा।
नागरिकों से अपील है कि वे तटस्थ होकर देखें कि किस तरह जामिया के छात्रों के साथ नाइंसाफ़ी हुई है। ऐसा मत कीजिए। ये ज़ुल्म आने वाले समय में भारत के लोकतंत्र के ख़ात्मे की कहानी लिख रहा है।
इस तरह से यूनिवर्सिटी पर हमला करना आपकी अकेली और समूह की आवाज़ को कुचलना है। सौ बार कह चुका है कि इस वक्त आप जिन अख़बारों और टीवी चैनलों को अपने पैसे से ज़हर पीला रहे हैं और वो आपको पीला रहे हैं उनसे दूर रहें।
शुक्रिया।
रवीश
(ये लेख वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार की फेसबुक वॉल से लिया गया है)