पी. चिदंबरम की गिरफ्तारी से कांग्रेस नेता काफी आहत है। इस मामले में कांग्रेस नेता सरकार को खरी-खोटी सुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। वहीं कांग्रेस के सीनियर नेता और आईएनएक्स मीडिया केस में चिदंबरम की पैरवी करने वाले कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने तो सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली हाई कोर्ट और मीडिया की मंशा पर भी सवाल उठाना शुरू कर दिया है। पार्टी के दिग्गज नेता, पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने इशारों-इशारों में दिल्ली उच्च न्यायालय समेत देश की शीर्ष अदालत के इरादे पर सवाल उठाया और कहा कि जिस तरह ऑर्डर पास किए जा रहे हैं, वह बेहद चिंता की बात है।
सुप्रीम कोर्ट पर भी बरसे सिब्बल
सिब्बल ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में चली गतिविधियों पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा, मुवक्किल का हक होता है कि वह अपील करे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दायर चिदंबरम की अग्रिम जमानत की याचिका के बारे में कहा, ‘हमें कहा गया कि सीजेआई इस पर फैसला लेंगे। जबकि सुप्रीम कोर्ट हैंडबुक के मुताबिक, सीजेआई संवैधानिक बेंच में बिजी हैं तो नियम यह है कि दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश इसकी सुनवाई करें। हमें अपना अधिकार नहीं मिला। रजिस्ट्रार ने बताया कि चीफ जस्टिस शाम 4 बजे इस पर सुनवाई करेंगे। 4 बजे सुनवाई का समय ही नहीं बचता है।’
मालूम हो कि मद्रास के एक प्रतिष्ठित उद्योगपति परिवार से आने वाले चिदंबरम ने पारिवारिक कारोबार के बजाय राजनीति में कदम रखा और 1967 में उस समय कांग्रेस में शामिल हुए जब यह राज्य में सत्ता से बाहर हो गयी थी। उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए किया। वह 1969 और 1984 में उस समय इंदिरा गांधी के साथ बने रहे जब कांग्रेस में विभाजन हो गया था।
राजीव गांधी की सरकार में उन्हें वाणिज्य राज्य मंत्री बनाया गया। प्रधानमंत्री नरसिंह राव की सरकार में भी वह राज्यमंत्री रहे। तब उनके पास वाणिज्य और उद्योग मंत्रालयों की जिम्मेदारी थी। हालांकि पार्टी के कुछ फैसलों से मतभेद के चलते उन्होंने कांग्रेस छोड़कर 1996 में नया राजनीतिक दल बनाया।