नई दिल्ली: नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने कश्मीर पर सरकार द्वारा उठाए गए कदक की कड़ी आलोचना की। उन्होंने किसी एक इंटरव्यू में सरकार के इस फैसले को न सिर्फ बहुसंख्यकवाद की हुकूमत बताया, बल्कि यह भी कहा कि यह सभी लोगों के लिए समान अधिकारों के खिलाफ भी है। मुझे नहीं लगता कि लोकतंत्र के बिना जम्मू-कश्मीर में कोई समाधान निकलेगा। कई स्तरों पर सरकार के फैसले में खामियों की ओर इशारा करते हुए, 85 वर्षीय अमर्त्य सेन ने इंटरव्यू के दौरान कहा, ‘एक भारतीय के रूप में इस बात पर गर्व नहीं कर सकता कि एक लोकतांत्रिक देश की हैसियत से तमाम उपलब्धियों के बावजूद हमने इस फैसले से अपनी प्रतिष्ठा खो दी है।’
बता दें कि सरकार ने इस महीने की शुरुआत में जम्मू कश्मीर को मिले विशेष राज्य का दर्जा खत्म करते हुए उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटा था, जिसे कई राजनीतिक दलों और राजनेताओं का समर्थन हासिल हुआ था।
अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद दूसरे राज्यों के लोगों के द्वारा जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने जैसी बातों को लेकर अमर्त्य सेन का कहना है कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को इस बारे में फैसला लेना चाहिए.
उन्होंने कहा, “इसे लेकर कश्मीरियों को सिर्फ हक है कि वो क्या करते हैं. आखिर ये उनकी जमीन है.” उन्होंने जम्मू-कश्मीर के नेताओं को नजरबंद करने और उन्हें हिरासत में लेने की भी आलोचना की.
उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता है कि आप वहां के लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले नेताओं की आवाज सुने बिना न्याय कर पाएंगे. आप उन्हें जेल में डालकर जिन्होंने देश का नेतृत्व किया है, इससे पहले सरकारें बनाई हैं, आप लोकतंत्र के उन रास्तों पर गतिरोध पैदा कर रहे हैं, जो लोकतंत्र को सफल बनाते हैं.”
सरकार ने जम्मू-कश्मीर में भारी सुरक्षा इंतजाम को एहतियात के तौर पर उठाया गया कदम बताया है ताकि किसी अनहोनी को होने से रोका जा सके.
इस पर अमर्त्य सेन का कहना है, “उपनिवेशवाद के दौर में इसी तरह की बात की जाती थी. ब्रिटेन ने पूरे दो सौ सालों तक ऐसे ही इस देश पर हुकूमत किया था.”