चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग के प्रस्ताव को मंजूरी देने की मांग वाली याचिका को संविधान बेंच को ट्रांसफर किए जाने के बाद विवाद और गहरा गया है। कांग्रेस ने याचिका को संविधान बेंच को सौंपे जाने के बाद अपनी अर्जी ही वापस ले ली है और सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने इस मामले को लेकर सिलसिलेवार कई सवाल खड़े किए और संवैधानिक पीठ के गठन जुड़े प्रशासनिक ऑर्डर की कॉपी दिखाने की मांग कर डाली।
उन्होंने पूछा कि यह फैसला चीफ जस्टिस ने किया या किसी ओर ने किया। हमें फैसले की कॉपी मिलनी चाहिए क्योंकि ये हमारा अधिकार है। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 145 (3) के तहत यदि कोर्ट को लगे कि कानून की परिभाषा संविधान से जुड़ी हुई है तो फिर सुनवाई 5 जजों के सामने जाएगी। यह न्यायिक आदेश नहीं है।
कपिल सिब्बल ने कहा कि ये स्वत: संज्ञान का मामला है, क्योंकि याचिकाकर्ताओं को इसकी कोई जानकारी नहीं थी। अगर सीजेआई ही अथॉरिटी हैं, तो याचिकाकर्ताओं को ये बताया जाना चाहिए। अगर सीजेआई ने आदेश पास किया है, तो याचिकाकर्ताओं को जानने का हक है। इस मामले में याचिकाकर्ता के पास आदेश को चैलेंज करने का अधिकार है।
उन्होंने कहा कि हमें न्यायपालिका या किसी जज के खिलाफ कोई निजी शिकायत नहीं है। हम चाहते हैं कि कोर्ट की प्रणाली पूरी तरह स्वच्छ हो। हम कोर्ट की स्वायत्ता और संप्रभुता को बनाए रखना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि अदालत की प्रक्रिया पर विपरीत असर न पड़े। हमने ऐसा कोई मामला नहीं उठाया है, जो राजनीतिक हो।