सिविल राइट्स एक्टिविस्ट और लेखक राम पुनियानी को धमकी भरे फोन आए हैं। गुरुवार-शुक्रवार की रात उनके घर पर फोन कर उन्हें धमकी दी गई कि वे सांप्रदायिक सौहार्द्र को बढ़ावा देने वाले वर्कशॉप करना और लेक्चर देना बंद कर दें। इस सिलसिले में राम पुनियानी ने पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई है।
राम पुनियानी आईआईटी मुंबई में पढ़ाते थे और सन् 2007 के नेशनल कम्यूनल हार्मोनी एवार्ड से सम्मानित हैं। वे देश भर में सांप्रदायिक सौहार्द्र के लिए वर्कशॉप करते रहते हैं।
यह दूसरा मौका है जब राम पुनियानी को धमकी मिली है। इससे पहले मार्च में सादे कपड़ों में पुलिस वाले उनके घर किसी मामले की पूछताछ के बहाने से आए थे। पुलिसवालों ने कहा था कि वे पासपोर्ट की जांच करने के लिए आए हैं, जबकि राम पुनियानी ने पासपोर्ट के लिए आवेदन ही नहीं दिया था। इसके बाद राम पुनियानी ने इस सादे कपड़े पुलिस वालों के सीसीटीवी रिकॉर्डिंग पुलिस को मुहैया कराई थी।
अभी बीती रात उन्हें रात करीब 8.30 बजे फोन आया, जिसके उनके रिश्तेदार ने उठाया। फोन करने वाले ने काफी गुस्से में गालियां सुनाईं और राम पुनियानी को हिंदू विरोधी कहा। फोन करने वाले ने धमकी दी की पुनियानी अपने वर्कशॉप आदि बंद कर दें नहीं तो इसके गंभीर नतीजे होंगे। फोन करने वाले ने पुनियानी को 15 दिन में मुंबई छोड़ने का अल्टीमेटम भी दिया है।
इस फोन के पांच मिनट बाद फिर फोन आया जिसे राम पुनियानी ने रिसीव किया। इस बार भी धमकाने वाले लहजे में उन्हें बुरा भला कहा गया। फोन करने वाले ने पूछा कि क्या वह राम पुनियानी से ही बात कर रहा है। जब पुनियानी ने इससे इनकार किया तो उसने फोन रख दिया। फोन करने वाले का नंबर अभी पहचाना नहीं जा सका है।
इस बारे में बात करते हुए राम पुनियानी ने कहा कि, “यह काफी परेशान करने वाला मामला है। मेरे परिवरा को मेरी सुरक्षा की चिंता है। उम्मीद है कि प्रशासन इसे गंभीरता से लेगा। यह पहला मौका नहीं है जब ऐसा हुआ है।”
गौरतलब है कि बीते दो एक सालों में गोविंद पंसारे, नरेंद्र दाभोलकर, एम एम कलबुर्गी और गौरी लंकेश की हत्या कर दी गई थी। इस परिप्रेक्ष्य में राम पुनियानी को मिली धमकी काफी गंभीर मामला है। इन सारे मामलों में दक्षिणपंथी संगठनों से जुड़े लोगों के नाम आए थे।