इंदौर: कांग्रेस दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने नागरिकता संशाे’धन बिल पर अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा- यह बिल संविधान के विपरीत होना अलग बात है, लेकिन यह भारत की सभ्यता और वसु’धैव कुटुंब’कम् की विचारधारा के अनुरूप है। हालांकि, बाद में उन्होंने ट्वीट करके सफाई दी कि यह संविधान की मूल भावना के खिलाफ है और भारतीय संस्कृति के विपरीत भी है। सिंधिया ने कहा कि यह पहले देशों के आधार पर हुआ, अब राज्य और धर्म के आधार हो रहा है। मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ दिल्ली में 14 दिसंबर को कांग्रेस के आंदोलन की तैयारियों के लिए सिंधिया इंदौर पहुंचे थे।
गौरतलब है कि सिंधिया मोदी सरकार के कुछ बड़े फैसलों का समर्थन करते रहे हैं। वहीं, सिंधिया ने अपने ट्विटर प्रोफाइल से कांग्रेस और अपने पदों को हटाकर खुद को लोक सेवक और क्रिकेट प्रेमी बताया है, जिसके कई मायने निकाले जाने लगे थे। हालांकि, सिंधिया ने भी इन अटकलों को खारिज कर दिया था।
एमपी में तख्तापलट की कोई कोशिश नहीं
इधर, शिवराज ने कर्नाटक की तरह मध्य प्रदेश में तख्तापलट की किसी भी संभावना को खारिज किया। उन्होंने कहा कि वहां कांग्रेस को मात्र तीन सीट हमसे ज्यादा मिला। हम चाहते तो सरकार बना लेते, लेकिन हमने बहुमत का सम्मान किया। वहां ढाई मुख्यमंत्री की सरकार है। ये कमलनाथ, दिग्विजय और सिंधिया हैं। ये स्वयं में लड़ते रहते हैं।
नागरिकता संशोधन बिल ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा इस बिल का केवल कांग्रेस ही नही बहुत सारी पार्टियां विरोध कर रही हैं। देश के अनेक राज्यों में उत्तर-पूर्व राज्यों की आप स्थिति देखिए। हमारे संविधान निर्माता बाबा साहब अंबेडकर ने संविधान लिखते वक्त किसी को जात पात के दृष्टिकोण से नहीं देखा था। पिछले तीन चार हजार साल से इस भारत माता की माटी ने सभी को अपनाया है। वसु’धैव कुटुंब’कम ही भारत की विशेषता रही है। जो बिल आज लाया गया है वो सही नही है। मैं मानता हूं कि ये भारत की विचारधारा,भारत की सभ्यता और संस्कृति के विपरीत है।