नई दिल्ली : ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमंस ने कहा है कि उत्तर-पश्चिमी चीन में उइगर और अन्य जातीय अल्पसंख्यकों के साथ हो रहा व्यवहार मानवता के खिलाफ है और यह जनसंहार है।
इस आशय का सदन में एक प्रस्ताव पारित किया गया, हालांकि यह प्रस्ताव ब्रिटेन सरकार को चीन के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मजबूर नहीं करता लेकिन यह ब्रिटिश पार्लियामेंट में चीनी सरकार के प्रति बढ़ते असंतोष को दर्शाता है।
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चीन के शिविरों में एक लाख से अधिक अल्पसंख्यकों के होने का अनुमान है। शिनजियांग में उइगर जातीय अल्पसंख्यकों और अन्य तुर्क मुस्लिमों के साथ चीन का व्यवहार मानवता के खिलाफ अपराध है जिसे शिनजियांग स्वायत्त क्षेत्र में चीनी शिक्षा केन्द्र का नाम दिया गया है।
विशेष तौर पर ऐसी खबरें सामने आई हैं जिनमें कहा गया है कि इन शिविरों में लोगों को जबरन हिरासत में रखा जाता है और जिन्हें चीनी दमन और यातना का शिकार बनाया जाता है।
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चीनी दूतावास ने हाउस ऑफ कॉमन्स के इस बयान का त्वरित जवाब देते हुए अपने बयान में कहा,“ मुट्ठी भर ब्रिटिश सांसदों का यह आरोप कि शिनजियांग में जनसंहार हो रहा है। यह सदी का सबसे बड़ा झूठ है और यह चीनी लोगों का अपमान तथा अंतरराष्ट्रीय कानून का घोर उल्लंघन है। यह अंतरराष्ट्रीय संबंधों को बनाए रखने वाला बुनियादी मानदंड है। चीन ने उसके आंतरिक मामलों में ब्रिटेन की दखलंदाजी का कड़ा विरोध किया है।
वर्ष की शुरुआत मेंं यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, अमेरिका और कनाडा ने शिनजियांग में कथित अधिकारों के हनन के विरोध में चीनी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाए थे और पहले ही बीजिंग के कार्यों के अधिकारों का उल्लंघन करार दिया है।
चीन ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे दुर्व्यवहार के आरोपों से इनकार किया है और दावा किया है कि ये शिविर में आतंकवादी गतिविधियों से लड़ने का एक जरिया हैं।