गुजरात बीजेेपी में तकरीबन बीस साल बाद वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी और उनके चाणक्य कहे जाने वाले मरकजी होम मिनिस्टर अमित शाह को अंदर से चुनौतियां मिली हैं। बड़े पैमाने पर टिकट तब्दील किए जाने की वजह से पार्टी में बगावत जैसे हालात पैदा हो गए हैं। साबिक वजीर-ए-आला विजय रूपाणी और डिप्टी चीफ मिनिस्टर रहे मजबूत और सीनियर लीडर नितिन पटेल को अंदाजा लग गया था कि मोदी और अमित शाह की जोड़ी उनके टिकट काट सकती है तो उन दोनों ने उम्मीदवारों का एलान होने से पहले ही एलक्शन न लड़ने का एलान कर दिया। दोनों ही बहुत सीनियर लीडर हैं। खबर है कि दोनों अब बीजेपी उम्मीदवारों को हराने में अपनी पूरी ताकत लगाएंगे।
नितिन पटेल के कांग्रेस में शामिल होने की भी खबरें हैं। पहली बार ऐसा हुआ है कि टिकट कटने की वजह से धवल सिंह झाला और रणछोड़ रबारी समेत कई मेम्बरान असम्बली के हामियों ने गांधीनगर पहुंच कर पार्टी के रियासती दफ्तर ‘कमलम’ का घेराव किया। घेराव करने वालों में गुजरात के हर उस इलाके के नाराज वर्कर दिखाई पड़े जिन इलाकों के मौजूदा असम्बली मेम्बरान के टिकट काटे गए। डिस्पिलिन और मोदी और अमित शाह के इशारों के मुताबिक चलने वाली गुजरात बीजेपी में इतनी बड़ी तादाद में लोग नाराज होकर मुजाहिरा करंेगे ऐसा ख्याल भी किसी को नहीं आ सकता था।
इस बार गुजरात बीजेपी में जो हंगामा मचा है उसे पार्टी के बुरे दिनों की शुरूआत की शक्ल में देखा जा रहा है। तकरीबन एक साल कब्ल मोदी और अमित शाह ने विजय रूपाणी और उनके तमाम वजीरों को हटाकर भूपेन्द्र पटेल को चीफ मिनिस्टर और उनके साथ सभी नए वजीर बना दिया था तभी से पार्टी में नाराजगी पैदा हो गई थी।
गुजरात के देही इलाकों में कांग्रेस शुरू से ही मजबूत रही है। सूरत, बड़ोदरा, अहमदाबाद जैसे बड़े शहरों की ज्यादा से ज्यादा सीटें जीत कर बीजेपी मुसलसल सत्ता में बनी रही है। इस बार शहरों मंे आम आदमी पार्टी बीजेपी को जबरदस्त तरीके से चुनौती देती दिख रही है। इसी के साथ विजय रूपाणी और नितिन पटेल के साथ टिकट कटने से नाराज दीगर मेम्बरान असम्बली भी मोदी और अमित शाह को सबक सिखाने के काम में मसरूफ हो चुके हैं।
इन हालात में इस बात का बड़ा खतरा पैदा हो गया है कि तकरीबन पच्चीस साल बाद पार्टी हार कर सत्ता से बाहर भी हो सकती है। नितिन पटेल तकरीबन सबसे सीनियर और पाटीदार समाज के मजबूत लीडर हैं उनका समाज और उनके हामी उनकी तौहीन बर्दाश्त करने के लिए तैयार नहीं हैं। अगर मोदी इस बार अपने ही गुजरात में हारते हैं तो उनकी सत्ता की उल्टी गिनती भी शुरू हो जाएगी।
पीएम मोदी और अमित शाह ने गुजरात के होम मिनिस्टर और सूरत के माजुरा हलके से मेम्बर असम्बली हर्ष साधवी को नाराज लीडरान को मनाने के काम पर लगाया था लेकिन सांधवी बाछोडिया से छः बार के मेम्बर असम्बली मधु श्रीवास्तव, बड़ौदा के पाडरा हलके के एमएलए रहे दिनेश पटेल और कर्जन से एमएलए रहे सतीश निशालिया तक को समझा और मना नहीं पाए। सांधवी के कई बार बुलाने के बावजूद यह तीनों लीडरान उनसे मिलने नहीं पहुंचे।
गुजरात में वाघोडिया के शोरेपुश्त और छह बार के बीजेपी एमएलए मधु भाई श्रीवास्तव ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है और आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने के अपने फैसले का एलान कर दिया है। उन्होंने कहा कि सीएम भूपेंद्र पटेल के हाथ में कुछ नहीं है। अगर मुझे बात करना होती तो मैं सीधे पीएम मोदी और होम मिनिस्टर अमित शाह से बात कर सकता था। लेकिन मेरी वफादारी का कोई फल नहीं मिला। इसलिए मैं अब आजाद लडूंगा और बीजेपी को बताऊंगा कि मुझे टिकट न देना का नतीजा क्या निकला।
वडोदरा के दो और बीजेपी मेम्बरान असम्बली भी बगावत की राह पर हैं। कुछ ऐसा ही हाल सौराष्ट्र के केशोद में देखने को मिल रहा है जहां साबिक एमएलए अरविंद लदानी ने पार्टी से इस्तीफा देकर आजाद चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। इसी तरह चोर्यासी असम्बली हलके से झंखाना पटेल को हटाए जाने की पार्टी वर्कर मुखालिफत कर रहे हैं। पटेल ने 2017 में एक लाख दस हजार आठ सौ उन्नीस (1,10,819) वोटों के फर्क से जीत हासिल की थी, जो सीएम भूपेंद्र पटेल के बाद दूसरे नम्बर पर थे। वर्कर्स का कहना है कि झंखाना पटेल को टिकट न दिए जाने की वाजिब वजह पार्टी के पास नहीं है। सौराष्ट्र की कई सीटों पर उम्मीदवार बदलने की मांग भी उठ रही है। इस दरम्यान वाडवन से पार्टी के जरिए मैदान में उतारी गई जिग्ना पांड्या ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। उन्हें इस बात का बखूबी अंदाजा हो गया कि पार्टी वर्कर नाराज हैं इसलिए वह जीत नहीं सकती।
बीजेपी ने जिन मेम्बरान असम्बली को इस बार टिकट नहीं दिया उनमें से बड़ी तादाद में ऐसे हैं जो आजाद उम्मीदवार की हैसियत से मैदान में आ चुके हैं और जो आजाद उम्मीदवार के तौर पर मैदान में नहीं उतरे वह पार्टी उम्मीदवार को हराने में लग गए हैं। पार्टी के कुछ नाराज लीडरान ने कहा है कि वह अपने हामियों से मश्विरा करने के बाद अपना अगला कदम उठाएंगे, लेकिन बीजेपी के साबिक एमएलए हर्षद वसावा ने 11 नवंबर को नंदोड (रिजर्व) सीट से आजाद उम्मीदवार के तौर पर अपना नामिनेशन दाखिल कर दिया। याद रहे कि हर्षद वसावा बीजेपी की गुजरात इकाई के एससी/एसटी मोर्चा के सदर हैं। उन्होंने 2002 से 2007 और 2007 से 2012 तक राजपीपला सीट की नुमाइंदगी की थी। नर्मदा जिले की नंदोड सीट पर कांग्रेस का कब्जा है। इस सीट से बीजेपी ने डाक्टर दर्शन देशमुख को उतारा है। इस एलान से नाखुश हर्षद वसावा ने बीजेपी में अपने ओहदे से इस्तीफा दे दिया और नंदोड सीट के लिए अपना नामिनेशन दाखिल कर दिया।
वसावा ने नामिनेशन दाखिल करने के बाद मीडिया से कहा, ‘यहां असली बीजेपी और नकली बीजेपी है। हम उन लोगों को बेनकाब करेंगे, जिन्होंने वफादार वर्कर्स को दरकिनार कर दिया है और नए लोगों को अहम ओहदे दे दिए। मैंने अपना इस्तीफा पार्टी को भेज दिया है। इस इलाके के लोग जानते हैं कि मैंने 2002 से 2012 के दरम्यान कितना काम किया है।
वडोदरा जिले में एक मौजूदा और दो साबिक बीजेपी मेम्बरान असम्बली टिकट न दिए जाने की वजह से पार्टी से नाराज हैं। वाघोडिया से छह बार के एमएलए मधु श्रीवास्तव ने टिकट नहीं दिए जाने के बाद कहा कि अगर उनके हामी चाहते हैं तो वह आजाद के तौर पर चुनाव लड़ेंगे। बीजेपी ने इस सीट से अश्विन पटेल को उतारा है। वडोदरा जिले की पादरा सीट से बीजेपी के एक और साबिक एमएलए दिनेश पटेल उर्फ दीनू मामा ने भी कहा है कि वह आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ेंगे। बीजेपी ने इस सीट से चौतन्यसिंह जाला को टिकट दिया है। इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा है। करजन में बीजेपी के साबिक एमएलए सतीश पटेल मौजूदा एमएलए अक्षय पटेल को टिकट देने के फैसले से नाखुश हैं। हालात को संभालने के लिए बीजेपी की प्रदेश इकाई के जनरल सेक्रेटरी भार्गव भट्ट और मिनिस्टर आफ स्टेट होम हर्ष संघवी ने बारह नवम्बर को वडोदरा का दौरा किया और मकामी पार्टी वर्कर्स से मुलाकात की। भट्ट ने भरोसा जताया कि बीजेपी वडोदरा की सभी सीटों पर जीत हासिल करेगी। इस दरम्यान जूनागढ़ की केशोद सीट से बीजेपी के साबिक एमएलए अरविंद लडानी ने एलान किया कि पार्टी के जरिए मौजूदा एमएलए देवभाई मालम को टिकट दिए जाने की वजह से वह आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ेंगे।