नई दिल्ली : काला हिरण शिकार मामले के दौरान सलमान खान पर आर्म्स एक्ट का केस भी दर्ज किया गया था, इस मामले में जब सलमान ने आर्म्स लाइसेंस मांगा गया तो उन्होंने कोर्ट में एक हलफनामा पेश करते हुए बताया था कि लाइसेंस कहीं खो गया है.
हालांकि यह एफिडेविट झूठा निकला था, आज इसी मसले पर जोधपुर कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई हुई.
सुनवाई के दौरान सलमान के वकील हस्तीमल सारस्वत ने कोर्ट में कहा 8 अगस्त 2003 को गलती से एफिडेविट दे दिया गया था, अनजाने में ऐसी भूल हो गई, कोर्ट इस मामले में 11 फरवरी को फैसला सुनाएगा.
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सलमान को 1998 में काले हिरणों के शिकार के मामले में गिरफ्तार किया गया तो कोर्ट ने उनसे हथियारों का लाइसेंस मांगा था, इस पर सलमान ने 2003 में कोर्ट में एफिडेविट देकर बताया था कि लाइसेंस कहीं खो गया है.
सलमान ने मुंबई के बांद्रा पुलिस थाने में एक एफआईआर पेश की थी, एफआईआर की कॉपी भी कोर्ट में पेश की गई लेकिन कोर्ट को यह जानकर बड़ा आश्चर्य हुआ कि सलमान खान का लाइसेंस कहीं गुम नहीं हुआ.
उन्होंने खुद लाइसेंस के रिन्यू के लिए हथियार लाइसेंस नवीनीकरण शाखा में पेश किया हुआ था, इसके बाद तत्कालीन लोक अभियोजक भवानी सिंह भाटी ने कोर्ट में सीआरपीसी की धारा 340 के अंतर्गत एक अर्जी पेश कर गुहार लगाई कि सलमान खान ने कोर्ट को गुमराह करने का प्रयास करने पर मुकदमा दर्ज की जाए, आज इस मामले में जिला एवं सत्र जिला जोधपुर कोर्ट में सुनवाई हुई.
सुनवाई के दौरान सलमान के अधिवक्ता हस्तीमल सारस्वत ने बहस करते हुए यह दलील दी कि बहुत ज्यादा व्यस्तता होने के चलते उनके क्लाइंट (सलामान खान) भूल गए थे कि लाइसेंस नवीनीकरण के लिए पेश किया हुआ है.
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भलमनसाहत के चलते कोर्ट को सूचित किया तथा इस बाबत थाने में रिपोर्ट भी दर्ज करवाई थी, सारस्वत ने सलमान खान को उक्त मामले में बरी करने की अपील की, दोनों पक्षों की ओर से बहस खत्म कर ली गई, कोर्ट में सलमान के अधिवक्ता ने यह माना कि उनसे गलती हुई.
लेकिन यह गलती अनजाने में हुई, उनका प्रयोजन मुकदमे में लाभ लेने का नहीं था बल्कि अनजाने में ऐसी भूल हो गई, अब आगामी 11 फरवरी को कोर्ट इस प्रार्थना पत्र पर अपना आदेश सुनाएगी.
झूठे शपथ पत्र न्यायालय में पेश करना या झूठी गवाही देने के मामले में अधिकतम 7 वर्ष की सजा का प्रावधान है, सरकार ने सलमान के खिलाफ प्रार्थना पत्र पेश करते हुए सलमान के खिलाफ आईपीसी की धारा 193 के तहत मुकदमा चलाने की मांग की है.