नई दिल्ली : सौरभ भारद्वाज ने कहा कि भाजपा शासित साउथ एमसीडी के 100 बेड वाले पूर्णिमा सेठी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल का निर्माण कार्य 10 साल बाद भी पूरा नहीं हो सका है.
साउथ एमसीडी ने अस्पताल बनाने के लिए 2010 में टेंडर करके 9.88 करोड़ रुपए का ठेका दिया था, लेकिन बाद में नियमों में बदलाव करके उसी ठेकेदार को 30.96 करोड़ का दोबारा ठेका दे दिया.
ये भी पढ़ें : कांग्रेस के कद्दावर नेता अहमद पटेल का निधन, एक महीना पहले हुए थे Covid पॉजिटिव
इस अस्पताल को 2012 तक बना कर दिल्ली वालों को समर्पित किया जाना था, लेकिन आज भी इसका काम चल रहा है, सौरभ भारद्वाज ने कहा कि एमसीडी ने निर्माण कार्य में देरी के बावजूद ठेकेदार पर किसी तरह का जुर्माना नहीं लगाया.
उल्टा ठेकेदार को तय लागत 30.96 करोड़ की बजाय 35 करोड़ से अधिक का भुगतान कर दिया, आम आदमी पार्टी के नेता प्रतिपक्ष के सवाल पर एमसीडी ने 28.53 करोड़ रुपए का भुगतान करने का झूठा दावा किया.
जबकि आॅडिट रिपोर्ट में 35 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान होने का दावा किया गया है, आडिटर द्वारा अस्पताल के निर्माण में देरी होने का कई बार कारण पूछने के बाद भी साउथ एमसीडी ने कोई जवाब नहीं दिया.
पार्टी मुख्यालय में आज प्रेस वार्ता के माध्यम से भारद्वाज ने भाजपा के भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए शुरू की गई भाजपा-181 मुहिम के तहत भाजपा की लूट की चैथी स्कीम का खुलासा किया.
ये भी पढ़ें : IND Vs AUS: पूर्व कप्तान ने विराट को दी चेतावनी
प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हमारी पिछली तीन प्रेस वार्ताओं के जवाब में भाजपा के नेता जगह-जगह इस बात को कह रहे हैं कि सब बातें झूठी हैं.
मैं मीडिया को और भाजपा के उन तमाम लोगों को बता देना चाहता हूं कि यह सारी जानकारी हमने भाजपा की नगर निगम द्वारा तैयार की गई ऑडिट रिपोर्ट से ही निकाली है, यह कोई काल्पनिक या झूठी जानकारियां नहीं है.
भाजपा के चैथे भ्रष्टाचार की स्कीम का खुलासा करते हुए उन्होंने बताया कि कालकाजी में भाजपा शासित नगर निगम का एक अस्पताल है, जिसका नाम है पूर्णिमा सेठी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, कागजों में यह अस्पताल 100 बेड वाला मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल बताया गया है.
उन्होंने कहा कि भाजपा के नगर निगम के इस अस्पताल की कहानी बेहद ही दिलचस्प है, 2005 में इस अस्पताल का अप्रूवल दिया गया, फिर 2010 में इस अस्पताल के लिए टेंडर जारी किया गया और एक ठेकेदार को 9 करोड़ 88 लाख रुपए में इस अस्पताल को बनाने का ठेका दे दिया गया.
उन्होंने बताया कि बाद में इस टेंडर के नियमों को बदल दिया गया और उसी ठेकेदार को नए नियमों के आधार पर ठेका दे दिया गया और इस ठेके को 10 करोड़ से बढ़ाकर 30 करोड़ 96 लाख का ठेका बना दिया गया, उन्होंने कहा कि सेंट्रल विजिलेंस की गाइडलाइंस इस बात की अनुमति नहीं देती है.
उसके बावजूद सारे नियमों को ताक पर रखकर भाजपा शासित दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने 10 करोड़ के ठेके को 30 करोड़ का ठेका बना दिया, आप सभी को जानकर यह आश्चर्य होगा कि इस अस्पताल को बनाने के लिए 2 साल की समय सीमा तय हुई थी.
अर्थात 2012 में यह अस्पताल बनकर तैयार हो जाना चाहिए था, परंतु 2020 भी खत्म होने वाला है, नगर निगम का यह अस्पताल अभी तक बनकर तैयार नहीं हुआ है.