बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने मंगलवार को केंद्र सरकार से सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने वाला कानून लाने का आग्रह किया, ताकि दुष्प्रचार को फैलने से रोका जा सके, जो लोगों के जीवन को प्रभावित करते हैं। झारखंड के गोड्डा संसदीय क्षेत्र से सांसद दुबे ने लोकसभा में शून्य काल के दौरान यह मामला उठाया।
निशिकांत दुबे ने कहा, “मैं आपसे (लोकसभा अध्यक्ष से) सुरक्षा की मांग करता हूं सर। जब संविधान का निर्माण हुआ था, अनुच्छेद 105 और 105(2) में यह उल्लेखित था कि सदन में जिस मुद्दे पर भी चर्चा होगी, मामले की रिपोर्टिग समुचित ढंग से होगी और कोई भी सदस्य बिना किसी डर और पक्षपात के अपना विचार रख सकेगा। जब अनुच्छेद 105 का निर्माण हुआ था, तब सोशल मीडिया और ब्रेकिंग न्यूज नहीं था।”
भाषा के अनुसार, उन्होंने कहा कि उन्होंने सभी बातें तर्क के साथ रखी थी, लेकिन मीडिया, खासकर सोशल मीडिया पर उनकी बात के संदर्भ में उनके परिवार के प्रति अभद्र शब्दों का प्रयोग किया गया। दुबे ने कहा कि उनका सरकार से आग्रह है कि सदन में बोलने के संदर्भ में इस प्रकार की जो घटनाएं होती है, ऐसे में सोशल मीडिया पर ऐसी गतिविधि पर रोक लगाने के लिये कानून बने।
बालिया से भाजपा सांसद वीरेन्द्र सिंह ने दूबे का समर्थन करते हुए कहा कि वह गांव से हैं, किसान है। जीडीपी को नहीं मानते हैं। उन्होंने कहा कि जीडीपी हमारे गांव, किसान का पैमाना तय नहीं कर सकती।
आपको बता दें कि सांसद निशिकांत दुबे ने सोमवार को लोकसभा में कहा था कि अर्थव्यवस्था की प्रगति को आंकने के लिए जीडीपी इंडिकेटर का इस्तेमाल भविष्य में नहीं किया जाएगा।
दुबे ने कहा था, “जीडीपी 1934 में आया। इससे पहले कोई जीडीपी नहीं थी…केवल जीडीपी को बाइबल, रामायण या महाभारत मान लेना सत्य नहीं है और भविष्य में जीडीपी का कोई बहुत ज्यादा उपयोग नहीं होगा। आज की नई थ्योरी है कि सस्टेनेबल इकोनॉमिक वेलफेयर आम आदमी का हो रहा है कि नहीं हो रहा। जीडीपी से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि सस्टेनेबल डेवलपमेंट, हैप्पीनेस हो रहा है कि नहीं।”