बिहार के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर ने राम चरित मानस पर की गई विवादित टिप्पणी पर माफी मांगने से इनकार कर दिया है। इतना ही नहीं उन्होंने गुरुवार को अपना बयान फिर से दोहराते हुए इस बात का दावा किया कि महाकाव्य रामायण पर आधारित रामचरित मानस समाज में नफरत फैला रही है।
दरअसल, चंद्रशेखर ने पटना में रामचरितमानस पर विवादित बयान दिया था। इस बयान को लेकर वह गहरे विवाद में फंसते जा रहे हैं। तमाम राजनीतिक पार्टियों ने उनपर निशाना साधा है। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने भी इस बयान को लेकर ट्वीट कर सवाल खड़े किए हैं।
बीजेपी के नेता हरि भूषण ठाकुर बचौल ने कहा है कि रामचरित्र मानस पर बयान देने वाले शिक्षा मंत्री नहीं लंपट मंत्री हैं। उन्होंने कहा यह सिर्फ मुस्लिम तुष्टीकरण एवं वोट की राजनीति के लिए इस तरीके का बयान दे रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मांग की कि ऐसे मंत्री को अविलंब अपने मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाए।
मधेपुरा से विधायक रहे शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर पर तीन मामले दर्ज हैं। चुनाव आयोग को दिए एफिडेविट में शामिल जानकारी के मुताबिक उनके खिलाफ कई धाराओं में मुकदमा दर्ज है।
बता दें कि नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने रामचरितमानस को समाज को बांटने वाला ग्रंथ बताया था। प्रोफेसर चंद्रशेखर ने कहा था कि रामचरितमानस ग्रंथ समाज में नफरत फैलाने वाला ग्रंथ है। यह समाज में पिछड़ों, महिलाओं और दलितों को शिक्षा हासिल करने से रोकता है।
आगे उन्होंने कहा था कि यह उन्हें बराबरी का हक देने से रोकता है। RJD कोटे से बिहार में नीतीश कुमार की गठबंधन सरकार में शिक्षा मंत्री बने चंद्रशेखर ने कहा कि रामचरितमानस से पहले मनुस्मृति ने भी सामज में ऐसा ही नफरत का बीज बोया था। उसमें समाज के एक बड़े तबके के खिलाफ गालियां दी गईं, जिसके बाद उसका विरोध कर प्रतियों को जलाया गया।