वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय में दो दिनों से जारी प्रदर्शन के बीच विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक बड़ा फैसला लिया। अधिकारियों के साथ हुई बैठक के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने छेड़खानी के आरोपों का सामना कर रहे जंतु विज्ञान विभाग के प्रोफेसर एस. के चौबे को लंबी छुट्टी पर भेज दिया है। इसके अलावा विश्वविद्यालय प्रशासन ने ये भी फैसला किया है कि इस मामले को दोबारा यूनिवर्सिटी की कार्य परिषद के सामने विचार के लिए रखा जाएगा।
बीते 2 दिनों से स्टूडेंट्स इस मुद्दे को लेकर धरना-प्रदर्शन कर रहे थे। छात्राओं ने अपना धरना समाप्त करते हुए कहा कि कुलपति राकेश भटनागर के साथ छात्राओं के प्रतिनिधि की एक बैठक हुई जिसमें उन्होंने आरोपी प्रोफेसर की बर्खास्तगी को लेकर आश्वासन दिया। एक्सक्यूटिव कॉउंसिल कि जल्द ही मीटिंग होगी और पुराने आदेश को रिव्यू करने का आदेश दिया जाएगा। अगर दोबारा जांच में उनकी गलती मिलती है तो उन्हें बर्खास्त किया जाएगा।
छात्राओं ने बताया कि कुलपति से उनकी डिमांड थी कि इस धरने के बाद छात्राओं को टारगेट ना किया जाए जो अन्य प्रदर्शनों के बाद देखा गया है कि पेरेंट्स को कॉल करके छात्राओं को मेंटली हैरेस किया जाता है। कुलपति ने आश्वासन दिया कि ऐसा कुछ भी छात्राओं के साथ नहीं होगा।
आरोप है कि बीते साल, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं के साथ प्रोफेसर चौबे दक्षिण भारत के टूर पर गए थे, जहां पर इन्होंने कुछ अश्लील हरकतें की थीं, इसकी शिकायत विश्वविद्यालय प्रशासन ने की थी। मामला सामने के आने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसकी जांच के लिए एक कमेटी बनाई थी और तब प्रोफेसर को लंबी छुट्टी पर भेज दिया गया था।
लेकिन, दोबारा उन्हें फिर से ज्वाइन कराया गया तो विरोध होने लगा। प्रोफेसर चौबे की दोबारा नियुक्ति पर विश्वविद्यालय के छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा। देर रात तक छात्राओं को मनाने की कोशिश जारी रही लेकिन वे लोग मानने को तैयार नहीं थे। डॉक्टर से लेकर प्रॉक्टर तक ने छात्राओं से बात की लेकिन वे लोग प्रोफेसर की बर्खास्तगी की अपनी मांग पर अड़े रहे।