सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में लखनऊ ट्रायल कोर्ट के स्पेशल सीबीआई जज एसके यादव के कार्यकाल को बढ़ाने का निर्देश दिया, जो अयोध्या मामले की सुनवाई कर रहे हैं। गौरतलब है कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल 2017 को कहा था कि बीजेपी के सीनियर नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती पर साल 1992 में हुए बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आपराधिक साजिश के गंभीर आरोप में मुकदमा चलेगा।
कोर्ट ने अपने आदेश में आगे कहा था कि इस मामले की रोजाना सुनवाई की जाए और ये दो साल के भीतर 19 अप्रैल 2019 तक पूरी की जाए। लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती सहित 13 आरोपियों के खिलाफ इस मामले में आपराधिक साजिश के आरोप हटा दिये गये थे, लेकिन हाजी महबूब अहमद और सीबीआई ने बीजेपी नेताओं सहित 21 आरोपियों के खिलाफ साजिश के आरोप हटाने के आदेश को चुनौती दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी विध्वंस केस की सुनवाई करने वाले विशेष जज को 9 माह के भीतर इस मामले में फैसला सुनाने के लिए कहा, जिसमें लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी सहित बीजेपी के कई नेताओं के नाम हैं। शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को साफ कहा कि इस मामले की सुनवाई नौ माह के भीतर पूरी कर ली जानी चाहिए और फैसला भी आ जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने 9 माह के समय को आज यानी शुक्रवार, 19 जुलाई से ही माना है। साथ ही कोर्ट ने सितंबर में रिटायर हो रहे जज का कार्यकाल बढ़ाने के निर्देश भी दिए।
बाबरी विध्वंस मामले की सुनवाई लखनऊ में सीबीआई ट्रायल कोर्ट के जज एस के यादव कर रहे हैं, जो 30 सितंबर, 2019 को रिटायर होने वाले हैं। उन्होंने पूर्व में सुप्रीम कोर्ट में आवेदन देकर कहा था कि उन्हें बाबरी मस्जिद केस की सुनवाई पूरी करने के लिए अतिरिक्त समय की आवश्यकता होगी, जिसमें बीजेपी के कई नेताओं के नाम हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने विशेष जज को 9 माह के भीतर मामले की सुनवाई पूरी कर फैसला सुनाने के लिए कहा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले की सुनवाई में सबूतों की रिकार्डिंग 6 माह के भीतर पूरी कर ली जाए।