असम सरकार ने एनआरसी की नई सूची जारी कर दी है। इस नई सूची में में 1,02,462 लोगों के नाम शामिल हैं, जिन्हें अब अपनी नागरिकता साबित करने के लिए दावे दाखिल करने हैं। एनआरसी अधिकारियों ने कहा कि अतिरिक्त सूची में सिर्फ उन लोगों के नाम हैं जो 30 जुलाई, 2018 को प्रकाशित पूर्ण मसौदा एनआरसी में शामिल हैं, लेकिन बाद में अयोग्य पाए गए।
एनआरसी अधिकारियों ने कहा कि अतिरिक्त सूची में केवल उन लोगों के नाम हैं जो 30 जुलाई, 2018 को प्रकाशित पूर्ण मसौदा एनआरसी में शामिल हैं, लेकिन बाद में अयोग्य पाए गए.
एक प्रेस विज्ञप्ति में स्टेट कोआर्डिनेटक ने कहा, ‘एडिशनल ड्राफ्ट इक्स्क्लूश़न लिस्ट में 15 फरवरी 2019 से 26 जून, 2019 की अवधि के दौरान दावों और आपत्तियों के निपटान के लिए आयोजित दावों और आपत्तियों के परिणाम नहीं हैं. वे केवल 31 जुलाई 2019 को प्रकाशित होने वाले अंतिम एनआरसी में प्रकाशित की जाएगी. 26 जून, 2019 को सुबह 10 बजे से एडिशनल ड्राफ्ट इक्स्क्लूश़न लिस्ट की हार्ड कॉपी एनआरसी सेवा केंद्रों (एनएसके) पर जनता के लिए उपलब्ध होगी.
इसके अलावा, NRC के स्टेट कोऑर्डिनेटर ने कहा, जिन्हें बाहर रखा जाएगा, उन्हें व्यक्तिगत रूप से एलओआई (सेटक ऑफ इंफॉर्मेशन) के माध्यम से उनके आवासीय पते पर पहुंचाने के साथ-साथ निकाले जाने के कारण के बारे में सूचित किया जाएगा और उनके पास यह दावा करने का अवसर होगा कि एक निस्तारण अधिकारी द्वारा उनके मामले की सुनवाई हो.
स्टेट कोऑर्डिनेटर ने कहा सुनवाई 5 जुलाई 2019 से शुरू होगी. सुनवाई की तारीख भी होगी. एनआरसी की वेबसाइट www.nrcassam.nic.in पर 29 जून 2019 से ऑनलाइन उपलब्ध है.इस तरह के सभी दावों को उसके बाद निपटाया जाएगा और 31 जुलाई 2019 को अंतिम एनआरसी में ऐसे व्यक्तियों के परिणाम घोषित किए जाएंगे.
मालूम हो कि असम इकलौता राज्य है जहां नेशनल सिटीजन रजिस्टर बनाया जा रहा है। दरअसल, असम में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों को लेकर हमेशा से विवाद रहा है। एक अनुमान के मुताबिक असम में करीब 50 लाख बांग्लादेशी गैरकानूनी तरीके से रह रहे हैं। यह किसी भी राष्ट्र में गैरकानूनी तरीके से रह रहे किसी एक देश के प्रवासियों की सबसे बड़ी संख्या है। 80 के दशक में इसे लेकर छात्रों ने आंदोलन किया था। इसके बाद असम गण परिषद और तत्कालीन राजीव गांधी सरकार के बीच समझौता हुआ। समझौते में कहा गया कि 1971 तक जो भी बांग्लादेशी असम में घुसे, उन्हें नागरिकता दी जाएगी और बाकी को निर्वासित किया जाएगा।