नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि अशोका यूनिवर्सिटी से प्रताप भानु मेहता और अरविंद सुब्रमण्यम के इस्तीफे से अभिव्यक्ति की आजादी को गंभीर झटका लगा है, राजन ने कहा कि अशोका यूनिवर्सिटी के फाउंडर्स ने अपनी आत्मा से समझौता किया है.
राजन अशोका यूनिवर्सिटी से मेहता और सुब्रमणयम के इस्तीफे पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे, इससे पहले इसी सप्ताह सोनीपत स्थित यूनिवर्सिटी राजनीतिक टिप्पणीकार मेहता और अर्थशास्त्री सुब्रमण्यम के इस्तीफे के बाद विवादों के घेरे में आ गया था.
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राजन ने कहा कि भारत में इस सप्ताह अभिव्यक्ति की आजादी को गंभीर झटका लगा है, देश के बेहतरीन राजनीतिक टिप्पणीकार प्रोफेसर मेहता ने अशोका यूनिवर्सिटी से इस्तीफा दे दिया है.
राजन ने कहा सच्चाई यह है कि प्रोफेसर मेहता किसी संस्थान के लिए ‘कांटा’ थे, वह कोई साधारण कांटा नहीं हैं, बल्कि वह सरकार में उच्च पदों पर बैठे लोगों के लिए अपनी जबर्दस्त दलीलों से कांटा बने हुए थे.
राजन ने कहा अभिव्यक्ति की आजादी इस महान यूनिवर्सिटी की आत्मा है, इस पर समझौता कर यूनिवर्सिटी के फाउंडर्स ने आत्मा को चोट पहुंचाई है, उन्होंने कहा, ”यदि आप अपनी आत्मा को ‘बेचने’ की मंशा रखते हैं, तो क्या इससे दबाव समाप्त हो जाएगा, यह निश्चित रूप से भारत के लिए एक बुरा घटनाक्रम है.
राजन ने सुब्रमण्यम के इस्तीफे की कुछ पंक्तियों का भी जिक्र किया है, इसमें कहा गया है, यहां तक कि अशोका, जो निजी यूनिवर्सिटी है और यह निजी पूंजी के जरिए संचालित है, वहां भी अकादमिक अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है, जो काफी परेशान करने वाली चीज है.
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राजन ने कहा यदि यूनिवर्सिटी के फाउंडर्स को लगता है कि उन्होंने यूनिवर्सिटी के हित में शक्तिशाली लोगों से समझौता किया है, तो वे गलत हैं, राजन ने कहा, ऐसा नहीं है कि मेहता विपक्ष के साथ सहानुभूति रखते हैं, एक सच्चे शिक्षाविद की तरह वह उनकी भी इसी तरह से आलोचना करते हैं.
राजन ने मेहता के त्यागपत्र की कुछ और पंक्तियों का भी उल्लेख किया है, इसमें कहा गया है, फाउंडर्स के साथ बैठक के बाद मुझे यह पूरी तरह स्पष्ट हो गया कि मेरा यूनिवर्सिटी से जुड़ाव को एक राजनीतिक बोझ समझा जाएगा.