अरुणाचल में बङा उग्रवादी हमला हुआ है जिसमें नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) के विधायक तिरोंग अबो और उनके परिजन समेत 10 लोगों की दर्दनाक हत्या कर दी गई, इस हमले में कुल 11 लोगों की जानें गईं हैं जिसमें मौजूदा विधायक तिरोंग अबो के पुत्र और उनके ही परिवार के चार अन्य सदस्य भी मारे गए हैं।
यह आतंकवादी वारदात शायद ही कोई ‘टीबी’ वाला दिखा पाए, और शायद ही कोई ‘देशभक्त’ एंकर इस विषय पर डिबेट चला पाए, क्योंकि पूर्वोत्तर क्षेत्र में जो उग्रवादी संगठन हैं उनके सरगना और गुर्गो के नाम ‘उर्दू’ भाषा वाले भी नहीं हैं, और पङोस में चीन है पाकिस्तान नही इसलिए इस गर्मी में देशभक्ती भी फ्रीज में लगी बैठी रहेगी। अब थोङा सा भूगोल बदलिए और सोचिए यह जघन्य घटना अरुणाचल के बजाय कश्मीर में हुई होती तब ‘देशभक्त गैंग’ कैसे अपने बिलों से बाहर आते।
इस देश ने पुलवामा आतंकी हमले के बाद जो माहौल देखा है उसकी तस्वीरें अभी भी लोगों के ज़हन में ताजा हैं, किस तरह ‘देशभक्तो के टौले’ ने भारत के दूसरे राज्य में रह रहे कश्मीरियों को बेरहमी से पीटकर अपनी देशभक्ती साबित की थी, किस तरह मुसलमानों की बस्तियों को पाकिस्तान कहा गया था, जबकि उसके बाद छत्तीसगढ में नक्सली हमला हुआ जिसमें विधायक समेत पांच लोग मारे गए, फिर महाराष्ट्र के गढचिरौली में नक्सली हमला हुआ जिसमें CRPF के 16 जवान मारे गए, और अब अरुणाचल में उग्रवादियों ने एक विधायक समेत 11 लोगों को मौत के घाट उतार दिया, लेकिन मंजाल भला कि किसी की देशभक्ती इन वारदातों पर जाग जाए!
देशभक्ती तो सिर्फ कश्मीर में ही जागती है, क्योंकि ध्रुवीकरण जो कराना होता है, और आम कश्मीरी एंव देश के दूसरे राज्यो के मुसलमानों को ‘देशद्रोही’ साबित करके सत्ता की सीढियां चढना ही एक मात्र लक्ष्य होता है।
मालूम हो कि आज मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराद संगमा ने घटना पर दुख जताया है और प्रधानमंत्री कार्यालय और गृह मंत्रालय से हमले के लिए जिम्मेदार समूह के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है। सीएम संगमा ने ट्वीट किया, एनपीपी अपने नेता और विधायक तिरोंग अबोह और उनके परिवार की मौत की खबर सुनकर स्तब्ध है। हम इस कायरतापूर्ण हमले की कड़ी निंदा करते हैं। पीएमओ से अपील करते हैं कि वे हमले में शामिल समूह के खिलाफ कार्रवाई करें। बता दें कि अरुणाचल प्रदेश में लोकसभा के साथ विधानसभा के भी चुनाव हुए हैं।